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चेतना का प्रसार मणिपुर चक्र से होता है

बौद्धों की मान्यता है कि चेतना का प्रसार मणिपुर चक्र से होता है. हालांकि कुण्डलिनी का जागरण वास्तव में मूलाधार से ही प्रारंभ होता है, किन्तु प्रथम दो चक्रों तक इसका प्रभाव अधिक दृष्टिगोचर नहीं होता है. मणिपुर से कुण्डलिनी जागरण की क्रिया-प्रतिक्रिया प्रकट होने के कारण अनेक आध्यात्मिक पथ कुण्डलिनी के प्रारंभ बिंदु मणिपुर […]

बौद्धों की मान्यता है कि चेतना का प्रसार मणिपुर चक्र से होता है. हालांकि कुण्डलिनी का जागरण वास्तव में मूलाधार से ही प्रारंभ होता है, किन्तु प्रथम दो चक्रों तक इसका प्रभाव अधिक दृष्टिगोचर नहीं होता है. मणिपुर से कुण्डलिनी जागरण की क्रिया-प्रतिक्रिया प्रकट होने के कारण अनेक आध्यात्मिक पथ कुण्डलिनी के प्रारंभ बिंदु मणिपुर को ही मान्यता देते हैं. वे नीचे के दोनों चक्रों मूलाधार तथा स्वाधिष्ठान चक्र को पशुजगत के सर्वोच्च चक्र मानते हैं. जबकि मणिपुर चक्र को मनुष्यों में विकास का प्रारंभ बिंदु कहते हैं. जब एक बार चेतना मणिपुर में स्थापित हो जाती है तो कुण्डलिनी का जागरण निश्चित होता है तथा वहां से उसके पतन की संभावना नहीं रहती. परंतु मूलाधार तथा स्वाधिष्ठान से चेतना वापस नीचे उतर सकती है.

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