देवघर: होटल महादेव पैलेस में बाल विवाह रोकथाम के लिए जन वकालत द्वारा रणनीति निर्माण विषय पर कार्यशाला आयोजित की गयी. कार्यशाला का आयोजन चेतना विकास व विमेन पावर कनेट के द्वारा फोड फाउंडेशन एवं डिस्ट्रीक लीगल सर्विसेस ऑथोरिटी के सहयोग से किया गया. कार्यशाला का उदघाटन राष्ट्रीय महिला सशक्तीकरण मिशन की कार्यकारी निदेशक रश्मि सिंह व जिला परिषद अध्यक्ष किरण कुमारी ने किया.
कार्यशाला में बाल विवाह रोकने के लिए 2007 में लागू कानून को ग्रास रूट तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया. पंचायत स्तर पर व्यापक पैमाने पर जागरूकता अभियान के माध्यम से देश में बाल विवाह पर काबू पाया जा सकता है. इसके लिए केवल सरकारी तंत्र नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेवारी के साथ काम करना होगा. एनजीओ, बुद्धिजीवियों, एनएसएस सदस्य व स्कूल-कॉलेज व ग्राम सभा में संवाद स्थापित कर इस कुरीति को समाप्त किया जा सकता है. बाल विवाह का सर्वाधिक केस झारखंड, बिहार व राजस्थान में आते हैं.
जवाबदेही तय होनी चाहिए
कार्यकारी निदेशक रश्मि सिंह के अनुसार बाल विवाह अधिनियम की समस्या व समाधान पर तीन चुनौतियां है. इसमें कानून का दायित्व क्या होना चाहिए व यह कितना प्रभावी है. सरकार की योजनाएं व दायित्व की चुनौतियां तथा बाल विवाह रोकने में सामुदायिक भूमिका क्या रही है. इन तीनों चुनौतियों को पूर्ण करने की दिशा में काम करना होगा. इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए. बाल विवाह अधिनियम का नियमावली तय करनी होगी. इसके तहत जिलावार प्रोटेक्शन ऑफिसर की नियुक्ति होनी चाहिए. बाल विवाह के आंकड़ों का रेग्यूलर डेटा कलेक्शन होना चाहिए.
ऑफिसर द्वारा नियमित रुप से मॉनिटरिंग होनी चाहिए. कार्यक्रम का संचालन रचना सनवोग ने किया.
दूसरे सत्र में हुआ डीजे का संबोधन
दूसरे सत्र के कार्यक्रम में डीजे पंकज श्रीवास्तव, न्यायिक दंडाधिकारी एसके सिंह, मनीष रंजन, अजय कुमार सिंह व एमसी नारायण ने बाल विवाह पर वक्तव्य दिया.
इस अवसर पर प्रो प्रीति प्रसाद, आरके मिशन के स्वामी राधाकांत, प्रो अंजनी शर्मा, सुचित्र झा, चेतना विकास के सचिव कुमार रंजन, रानी कुमारी आदि मौजूद थे.