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आपकी राय :::: राज्य में व्याप्त समस्याओं का हो निराकरण

गोड्डा . 15 नवंबर 2000 को जब अलग झारखंड राज्य का गठन हुआ तो एक नयी उम्मीद लोगों के जेहन में थी. उस समय झारखंड का प्रथम बजट दस हजार करोड़ के अतिरिक्त बजट के साथ प्रस्तुत किया गया. ताकि राज्य में व्याप्त समस्याओं का निराकरण हो सके. राज्य का संपूर्ण विकास सरकार की पहली […]

गोड्डा . 15 नवंबर 2000 को जब अलग झारखंड राज्य का गठन हुआ तो एक नयी उम्मीद लोगों के जेहन में थी. उस समय झारखंड का प्रथम बजट दस हजार करोड़ के अतिरिक्त बजट के साथ प्रस्तुत किया गया. ताकि राज्य में व्याप्त समस्याओं का निराकरण हो सके. राज्य का संपूर्ण विकास सरकार की पहली प्राथमिकताओं में थी. लेकिन साल बीतता गया लेकिन नहीं बदल तो वो है राज्य के हालात. आज आलम यह है कि झारखंड के प्रति व्यक्ति पर करीब सात से आठ हजार रुपये का कर्ज हो चुका है. राज्य गठन के बाद नवगठित सरकार द्वारा कई योजानाएं लायी गयी. किंतु सवाल यह है कि आज कितनी ऐसी योजनाएं है जो धरातल पर लागू हो पायी है. हालात वहीं के वहीं है. यह सूबे की जनता के सामने एक बड़ा सवाल बन कर उभरा है. जिसका जवाब शायद पूर्ववर्ती सरकार के पास और न ही वर्तनाम सरकार के पास है. आज राज्य के हालात बदलने के लिये मजबूत सरकार की जरूरत है. वहीं दूसरी ओर झारखंड की आपात स्थिति को बदलने के लिए दृढ़ आत्म शक्ति संपन्न नेतृत्व और कठोर अनुशासनात्मक सरकार की जरूरत है. और अंत में कहना चाहती हूं की ” कारवां गुजर गया, गुबार देखते हैं.” -लेखिका, प्रो किरण चौधरीप्राचार्य महिला कॉलेज गोड्डा के साथ प्रभात खबर दस लोगों की कमेटी की एक सदस्या.

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