नि:शक्तता को नहीं बनाया लाचारी फोटो: स्कूल में पढ़ती संतरी सारठ बाजार. यदि मन में लगन व दिल में जज्बा हो तो असंभव काम भी आसान हो जाता है. उसके लिए नि:शक्तता मायने नहीं रखती. कुछ ऐसा ही साबित कर रही है छात्रा संतरी मुर्मू. संतरी पालोजोरी प्रखंड के बसाहा पंचायत अंतर्गत चंदा नावाडीह गांव स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में अध्ययनरत पांचवीं की छात्रा है.
बचपन से ही कालेश्वर मुर्मू संतरी दोनों हाथ से लाचार है. लेकिन पढ़ाई के प्रति लगन ने उसे कभी उसकी लाचारी का अहसास नहीं होने दिया. शुरू में तो संतरी को उसके परिजन ने स्कूल जाने से मना कर दिया. लेकिन, पढ़ायी के प्रति उसके जज्बे को देख परिजनों ने उसके स्कूल जाने पर सहमति जता दी. बस फिर क्या था, संतरी ने अपने पैरों में कलम थाम ली. रोजाना अभ्यास से संतरी ने अपने पैरों से ही कॉपी पर लिखने लगी. उड़ान कार्यक्रम के दौरान नि:शक्तों को मिलने वाली सहायता के लिए संतरी ने भी आवेदन दिया था.
लेकिन, एक साल बीतने के बाद भी उसे मदद नहीं मुहैया करायी गयी. इसके बावजूद संतरी अपनी पढ़ायी के प्रति अग्रसर है. जो लोगों के लिए प्रेरणा बन चुकी है. क्या कहते हैं शिक्षक संतरी रोजाना कक्षा आती है. संतरी से अन्य बच्चे भी प्रेरणा लेते हैं. चंद्रशेखर केसरी