देवघर: जिला ग्रामीण विकास अभिकरण और विकास शाखा में कर्मचारियों का टोटा है या यूं कहें कि इन विभागों में अधिकारी क्लर्क की पोस्टिंग करना ही नहीं चाहते हैं. कई क्लर्क तो ऐसे हैं जो दस वर्षो से जमे हैं. लेकिन उन्हें इधर से उधर तक नहीं किया गया है. तबादले का हाल तो यह है कि विभाग तो बदला जाता है लेकिन पुन: प्रतिनियुक्ति पर उसी विभाग के प्रभार में रह जाते हैं. इस तरह के कई उदाहरण डीआरडीए व विकास शाखा में मिल जायेंगे.
वर्क लोड अधिक है सहायकों पर
नतीजा है कि दो-तीन क्लर्क पर वर्क लोड काफी अधिक है. एक-एक क्लर्क कई योजनाओं की फाइलें निबटा रहे हैं. इस कारण योजनाओं की फाइल निबटारे में भी परेशानी हो रही है. उदाहरण स्वरूप देखें तो डीआरडीए के सहायक के पद पर विजय कुमार सिंह पदस्थापित हैं इनको 2004 फरवरी से विकास शाखा के सहायक के पद पर प्रतिनियुक्त किया गया है.
2014 सितंबर से उन्हें एनआरइपी में भी सहायक के पद पर प्रतिनियुक्त कर दिया गया है. यही नहीं सहायक श्री सिंह के जिम्मे सांसद मद, विधायक मद, पर्यटन, हेल्थ, प्रखंड सुदृढ़ीकरण योजना, आदर्श ग्राम योजना सहित कई योजनाओं की फाइन निबटाने की जिम्मेवारी है. इनकी प्रतिनियुक्ति के बारे में भी सूत्र बताते हैं कि यह डीडीसी के स्तर से जिम्मेवारी दी गयी है जबकि प्रतिनियुक्ति का आदेश डीसी ही पारित कर सकते हैं.
इसी प्रकार नाजिर के पद पर सुरेंद्र कुमार अनुमंडल कार्यालय देवघर में पदस्थापित हैं. लेकिन इनको भी जिला विकास, जिला समाज कल्याण, जिला योजना तथा एनआरइपी के नाजिर पद पर काम करना पड़ रहा है.
वहीं प्रभारी प्रधान सहायक अशोक कुमार मिश्र समाज कल्याण और जिला विकास के प्रधान सहायक के रूप में प्रतिनियुक्त हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इनकी प्रतिनियुक्ति स्थापना से नहीं बल्कि विकास शाखा से ही फाइल बढ़ा कर किया गया है. वहीं हाल ही में दो सहायक दिनेश कुमार और सुनील कुमार जो डीआरडीए में कार्यरत थे, उन्हें बिहार के लिए विरमित कर दिया गया है. लेकिन विडंबना है कि अभी तक उन लोगों द्वारा देखे जाने वाले विभाग का चार्ज किसी को नहीं दिया गया है. इस तरह डीआरडीए व विकास शाखा में काम प्रतिनियुक्ति पर ही चल रहा है.