देवघर : खेतौरी, घटवाल व घटवार को एसटी का दर्जा जल्द : निशिकांत

आयोग ने राज्य व केंद्र से 15 दिनों के अंदर मांगी रिपोर्ट गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा देवघर : गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने शनिवार को सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि 26 नवंबर 1949 को जब भारतीय संविधान पारित हुआ, उस वक्त तक खेतौरी, घटवाल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 6, 2019 8:00 AM

आयोग ने राज्य व केंद्र से 15 दिनों के अंदर मांगी रिपोर्ट

गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा

देवघर : गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने शनिवार को सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि 26 नवंबर 1949 को जब भारतीय संविधान पारित हुआ, उस वक्त तक खेतौरी, घटवाल व घटवार सभी आदिवासी थे.

लेकिन, दो माह बाद 26 जनवरी 1950 को जब संविधान लागू हुआ, उसके बाद अधिसूचना जारी हुई, तो लिपिकीय भूल की वजह से ये तीनों जातियां छूट गयी. यह ऐतिहासिक भूल है.

वर्ष 2013 में लोकसभा में मेरे द्वारा दबाव बनाने के बाद केंद्र सरकार द्वारा तत्कालीन सचिव ऋषिकेश पांडा की अगुवाई में कमेटी बनायी गयी थी. ऋषिकेश पांडा कमेटी के लोगों ने भी स्वीकार किया था. कमेटी द्वारा भी कहा गया था कि कुछ ऐसी जातियां हैं, जो छूट गयी हैं. इस मामले को लेकर हाइकोर्ट गया. हाइकोर्ट की सलाह पर अपना पिटिशन वापस भी लिया. इसके बाद नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन में गया.

कमीशन द्वारा सरकार को निर्देश दिया गया कि आप रिपोर्ट बना कर दें, लेकिन राज्य सरकार ने वर्ष 2004 व वर्ष 2011-12 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने बगैर एथनोग्राफी रिपोर्ट के दो बार इन जातियों को शामिल होने के लिए लिखा. 11-12 के बाद राज्य सरकार के ट्रायबल इंस्टीट्यूट के पदाधिकारी नहीं चाहते थे कि ऑरिजनल सिड्यूल ट्रायब का नाम जुड़े. गलत रिपोर्ट बना कर दी गयी कि ये लोग एसटी के नहीं, बल्कि एससी के हकदार हैं. एक जनवरी 2019 को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पास चले गये. आयोग को मजिस्ट्रेरियल अधिकार भी है. चार जनवरी को आयोग ने आदेश निकाल कर राज्य व केंद्र सरकार से 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगी है.

आयोग द्वारा कहा गया है कि यदि निर्धारित अवधि तक रिपोर्ट आप नहीं देते हैं, तो मजिस्टेरियल पावर के तहत दोनों के विरुद्ध कार्रवाई करेंगे. सांसद ने कहा कि मुझे लगता है कि अब हम सही दिशा में चल रहे हैं. खरवार जो इसी वजह से छूट गया था, भारत सरकार ने भी इसका बिल इंट्रोड्यूस कर दिया है. खरवार को किसी भी दिन सिड्यूल ट्रायब का दर्जा मिल जायेगा. उसी के साथ खेतौरी, घटवाल, घटवार को भी दर्जा मिलेगा.

कास्टेयर्स साहेब के पुस्तक में है इसका जिक्र : कास्टेयर साहेब संताल परगना के कलेक्टर व कमिश्नर रहे. उनकी किताब द लिटिल वर्ल्ड ऑफ ए इंडियन डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर जो वर्ष 1910 में छपी. किताब 1893 में लिखा गया था. किताब में उन्होंने कहा था कि घटवाल, घटवार, खेतौरी ये संताल परगना व झारखंड के मूल आदिवासी हैं.

ओरिजनल ट्रायबल्स वही हैं. संताल 1810 में यहां आये. किताब की प्रमाणिकता पर कोई सवाल इसलिए नहीं किया जा सकता है कि क्योंकि जब यह किताब छपी तो उस वक्त अंग्रेज इतने कांफिडेंट थे, उन्हें लगता था कि वे कभी यहां से सत्ता छोड़ कर ही नहीं जायेंगे. 1910 में किताब छपने के बाद अंग्रेजों ने 1911 में कोलकाता से दिल्ली राजधानी शिफ्ट किया. दिल्ली में राष्ट्रपति भवन, वायसराय हाउस, संसद भवन, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक उन्होंने बनाया. इसमें कोई राजनीति भी नहीं था.

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की देवघर में 20 एकड़ पुश्तैनी संपत्ति

सांसद ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 19 जनवरी को गोड्डा लोकसभा में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने आ रहे हैं.

राष्ट्रीय अध्यक्ष का देवघर से काफी जुड़ाव है. आज भी देवघर में उनकी 20 एकड़ की संपत्ति पुश्तैनी है. गोड्डा में लोकसभा कार्यकर्ताओं के साथ बूथ सम्मेलन करेंगे. साथ ही राजमहल व दुमका में बने शक्ति केंद्र के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे.

इसमें 30 से 40 हजार कार्यकर्ता गोड्डा में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे. गोड्डा आने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष पूजा करने देवघर भी आयेंगे. देवघर के चितरा में पब्लिक मीटिंग करेंगे. साथ ही चितरा-बासुकिनाथ रेललाइन का शिलान्यास करेंगे. प्रेसवार्ता में संजय यादव, अरुण गुटगुटिया, मोती सिंह, अभय आनंद झा व मुकेश पाठक आदि मौजूद थे.

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