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जेनेरेटर की शोरगुल से लोगों की मुश्किलें बढ़ी

देवघर: देवघर में बिजली संकट सुधर नहीं रहा है. सिर्फ मतदान के दिन 24 अप्रैल को छोड़ कर देवघर एवं आसपास के क्षेत्रों में बिजली संकट पिछले एक पखवारे से बरकरार है. विभागीय पदाधिकारी बार-बार बेहतर बिजली आपूर्ति का दावा तो करते हैं. लेकिन हालात में विशेष कोई सुधार नहीं हो रहा है. नतीजा यहां […]

देवघर: देवघर में बिजली संकट सुधर नहीं रहा है. सिर्फ मतदान के दिन 24 अप्रैल को छोड़ कर देवघर एवं आसपास के क्षेत्रों में बिजली संकट पिछले एक पखवारे से बरकरार है. विभागीय पदाधिकारी बार-बार बेहतर बिजली आपूर्ति का दावा तो करते हैं.

लेकिन हालात में विशेष कोई सुधार नहीं हो रहा है. नतीजा यहां का उद्योग, बाजार, स्वास्थ्य सेवाएं, होटल उद्योग आदि प्रभावित हो रहा है. कल-कारखानों में उत्पादन से लेकर सेवा तक के लिए प्रबंधकों को घंटों जेनेरेटर पर आश्रित रहना पड़ता है. जेनेरेटर उपयोग के नाम पर फ्यूल की बर्बादी के साथ-साथ इसके शोरगुल से लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. गरमी के मौसम में अनियमित बिजली आपूर्ति की वजह से घरेलू उपभोक्ताओं की परेशानी काफी बढ़ गयी है. नतीजा लोग अनिद्रा के शिकार होने लगे हैं. बिजली के बगैर लोग रत जगा कर रहे हैं.

मांग 75 मेगावाट, आपूर्ति 35 से 40 मेगावाट
पिक आवर में देवघर में बिजली की कुल खपत 75 मेगावाट है. लेकिन, यहां औसतन 35 से 40 मेगावाट (रेलवे को छोड़ कर) बिजली की आपूर्ति होती है. विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो देवघर में रेलवे सहित डीवीसी से तकरीबन 20 मेगावाट एवं एनटीपीसी (वाया ललमटिया) से औसतन 30 मेगावाट बिजली की आपूर्ति होती है.

लगातार रहता है रोटेशन का चक्कर
बिजली की आपूर्ति कम होने की वजह से पावर सब स्टेशन द्वारा विभिन्न फीडरों से रोटेशन में बिजली की आपूर्ति की जाती है. शर्ट डाउन को छोड़ दें तो शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोटेशन में बिजली आपूर्ति करने में भेदभाव बरता जाता है.

मोमबत्ती की लौ में पढ़ते हैं हॉस्टल के छात्र
अनियमित बिजली आपूर्ति की वजह से छात्रों को पढ़ाई-लिखाई करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. हॉस्टल में रह रहे छात्रों को मोमबत्ती की रोशनी के सहारे अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ रही है.

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