मधुपुर: राहुल अध्ययन केंद्र में काजी नजरूल इसलाम की जयंती समारोह पूर्वक मनायी गयी. लोगों ने नजरूल साहब की तसवीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया. केंद्र के संरक्षक सह साहित्यकार धनंजय प्रसाद ने कहा कि विद्रोही कवियों के रूप में नजरूल इसलाम शुमार होते हैं.
विद्रोही कविता के माध्यम से क्रांति की भावना व जन चेतना को झकझोरने का काम उन्होंने किया. उनकी कविताओं में शोषित दलित, मजदूर किसान व साम्राज्यवादी ताकतों के विरोध आक्रोश दिखती है. नजरूल इसलाम सांप्रदायिकता के कट्टर विरोधी थे. उन्होंने 20 वर्षीय साहित्यिक जीवन में तीन हजार से अधिक गीत लिखे. उन्हें क्रांतिकारी व जनवादी संगीत, रचना एवं सृजन शीलता के कारण ख्याति मिली.
उनका प्रथम संकलन अगिA वीणा प्रकाशित होते हैं, ब्रिटिश सरकार के तख्त हिल गये व उन पर राष्ट्र द्रोह का मुकदमा चलाया गया. तब से वह देश भर में विद्रोही कवि के रूप में पहचाने गये. नजरूल इसलाम आज भी प्रासंगिक हैं. इस दौरान गोविंद प्रसाद, आलोक, राहुल, अभिषेक, भूमन्यू आदि ने अपने-अपने विचारों को रखा.