36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

Happy Holi 2021 : देवघर में हरि होली मिलन की है परंपरा, जानें क्या है इसके पीछे की पौरानिक कथा

श्रीहरि की प्रेरणा से उस आचमन-जल के साथ वरुण ने रावण के उदर में प्रवेश किया. इसके कारण स्वरूप लघुशंका से पीड़ित रावण को झारखंड-वन 'हरिलाजोड़ी' में ज्योतिर्लिंग के साथ उतरना पड़ा. इधर जगदम्बा कामाख्या ने श्रीहरि को हरिलाजोड़ी भेज दिया था.

Jharkhand News, Deoghar News, Deoghar Holi देवघर : होली मान्यता है कि वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना के पूर्व ही इस ‘हृदय-पीठ’ शक्तिस्थल में जगदम्बा कामाख्या का आगमन हो चुका था. जगदम्बा कामाख्या की कृपा से ही बाबा-बैद्यनाथ आज देवघर में विराजमान हैं. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को ग्रहण करने से पूर्व रावण ने जल लेकर आचमन किया था.

श्रीहरि की प्रेरणा से उस आचमन-जल के साथ वरुण ने रावण के उदर में प्रवेश किया. इसके कारण स्वरूप लघुशंका से पीड़ित रावण को झारखंड-वन ‘हरिलाजोड़ी’ में ज्योतिर्लिंग के साथ उतरना पड़ा. इधर जगदम्बा कामाख्या ने श्रीहरि को हरिलाजोड़ी भेज दिया था.

श्रीहरि गोप-वेश धारण कर वहां गाय चराने लगे. बाबा भोलेनाथ ने रावण से कह दिया था कि यदि इस ज्योतिर्लिंग का स्पर्श भूमि से होगा तो यह लिंग उसी स्थल पर स्थिर हो जायेगा. इसी शर्त को ध्यान में रखकर रावण ने ज्योतिर्लिंग वैद्यनाथ को चरवाहे श्रीहरि को सौंपते हुए कहा कि इसे भूमि पर मत रख देना.

ऐसी चेतावनी देकर रावण लंबे समय तक लघुशंका-निवृत्ति के लिए बैठा रहा. पहला हरि-हर मिलन हरिलाजोड़ी में हुआ. वहां से चलकर श्रीहरि ने सती के हृदय-पीठ में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को विधिवत स्थापित कर दिया. उसी दिन होली का त्योहार था. इसी होली के अवसर में हरि-हर मिलन हुआ था और श्रीहरि ने हर के साथ यहां होली खेली थी.

Posted By : Sameer Oraon

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें