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झारखंड के बंधक मजदूर बंगाल से हुए रिहा, लौटे घर

सारठ: प्रशासनिक दबिश के कारण बंगाल में बंधक मजदूर रिहा हुए और बुधवार को सारठ पहुंचे. प्रभात खबर में खबर छपने के बाद प्रशासनिक गतिविधियां शुरू हुई. इसके बाद गौरबाजार, पांडेश्वर (बंगाल) से बुधवार को तीन वाहन से सभी मजदूरों को किसी ने छोड़ दिया. बंधक मजदूर वाहन से सारठ-पालोजोरी मुख्य मार्ग स्थित तेतरिया मोड़ […]

सारठ: प्रशासनिक दबिश के कारण बंगाल में बंधक मजदूर रिहा हुए और बुधवार को सारठ पहुंचे. प्रभात खबर में खबर छपने के बाद प्रशासनिक गतिविधियां शुरू हुई. इसके बाद गौरबाजार, पांडेश्वर (बंगाल) से बुधवार को तीन वाहन से सभी मजदूरों को किसी ने छोड़ दिया. बंधक मजदूर वाहन से सारठ-पालोजोरी मुख्य मार्ग स्थित तेतरिया मोड़ पर उतरे.

इसकी सूचना किसी ने बीडीओ अमित कुमार को दी. इसके बाद सभी मजदूरों को थाने लाया गया. बीडीओ ने इसकी सूचना डीसी राहुल पुरवार को दी, डीसी के निर्देश पर थाना प्रभारी उत्तम कुमार तिवारी के समक्ष सभी को मजदूरों का फर्द बयान कलमबद्ध किया गया. इसके बाद सभी मजदूरों को उनके घर पहुंचाया गया.

अपने परिजनों से मिलते ही उनकी आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे. मालूम हो कि सारठ, सारवां थाना क्षेत्र के भदियारा गांव व जरमुंडी थाने के बेहंगा गांव के कई मजदूरों को बंगाल में बंधक बना कर रखने की शिकायत सारठ के टेटू मिर्धा ने की थी. इस संबंध में बीडीओ ने डीसी से पत्रचार भी किया था. वहीं सांसद निशिकांत दुबे ने बिहार व बंगाल के डीजीपी से भी कार्रवाई करने को लेकर वार्ता की थी. अब प्रशासनिक स्तर पर बंधक मजदूरों के बयान पर कार्रवाई की जा रही है.

पांच पर मजदूरी बकाया रखने का आरोप
बीडीओ व थाना प्रभारी के समक्ष झारी मिर्धा समेत अन्य मजदूरों ने अपने बयान में बताया कि मजदूरों ने नौ लाख ईंट बनाये. अग्रिम में दी गयी राशि वसूलने के बाद कंपनी मालिक अनुकूल मंडल, गोपी मंडल व गिरील मंडल समेत एक अन्य खाने के लिए सप्ताह में 400 से 600 रुपये देते थे.
साथ ही प्रताड़ित करने व धमकी देने लगे.

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