कोरोना से जंग: मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु व हैदराबाद जैसे शहरों में फंसे हजारों झारखंडी

कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए पूरा देश लॉकडाउन कर दिया गया है. झारखंड में सख्ती से इसका पालन हो रहा है. राज्य की सड़कें और शहरें वीरान हैं, लेकिन इस वायरस के खौफ से डरे-सहमे लोग अपने घरों तक पहुंचने के लिए छटपटा रहे हैं.

By Pritish Sahay | March 26, 2020 12:43 PM

कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए पूरा देश लॉकडाउन कर दिया गया है. झारखंड में सख्ती से इसका पालन हो रहा है. राज्य की सड़कें और शहरें वीरान हैं, लेकिन इस वायरस के खौफ से डरे-सहमे लोग अपने घरों तक पहुंचने के लिए छटपटा रहे हैं. झारखंड के भी करीब 50 हजार कामगार मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, मंगलौर, हैदराबाद जैसे शहरों में फंसे हुए हैं. जो अपने घर पहुंच चुके हैं, वे भी परेशानी झेल रहे हैं. गांववाले उन्हें जांच कराने के बाद ही गांव में घुसने दे रहे हैं. राजधानी रांची समेत राज्य के कई जिलों के गांवों में एहतियातन बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी है. कोरोना संक्रमण के मुद्दे पर तो पलामू जिले दो पक्षों में मारपीट हो गयी, जिसमें एक की मौत हो गयी.

आनंद मोहन, रांची : कोरोना के प्रकोप को देखते हुए देश भर में लागू लॉकडाउन के कारण झारखंड के हजारों मजदूर देश के अलग-अलग शहरों और महानगरों में फंसे हुए हैं. अनुमान के मुताबिक रोज कमाने-खानेवाले करीब 50 हजार झारखंडी मजदूर मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, मंगलौर, हैदराबाद आदि शहरों में परेशान हैं.

मुंबई के अंधेरी, ठाणे, चैंबुर, योगेश्वरी, मलाड़ सहित कई इलाके में टैक्सी ड्राइवर, ओला ड्राइवर, दिहाड़ी मजदूर, दर्जी सहित कल-कारखाने और रेस्तरां में काम करनेवाले 20 हजार से ज्यादा लोग फंसे हैं. प्रतिष्ठान बंद हैं और इनको खाने के लाले पड़ रहे हैं. वहीं, बगोदर व विरनी के कई टाइल्स मजदूर कर्नाटक के मंगलौर स्थित टुकटू विरचउल्ला में फंसे हैं.

सरिया केसवारी के सैकड़ों मजदूर बेंगलुरू और मंगलौर में फंसे हैं. ये लोग राज मिस्त्री व टाइल्स का काम करते हैं. विष्णुगढ़ के 40 मजदूर केरल के त्रिपुर के चलाकुड़ी में फंसे हैं. इधर, प्रवासी मजदूर झारखंड लौटने के क्रम में कई जगहों पर फंस गये हैं. 10 से 20 लोग पैसे इक्ट्ठा कर प्राइवेट गाड़ी से कर पहुंच रहे हैं. हजारीबाग, गिरिडीह, कोडरमा, चतरा के गांव लौट रहे हैं.

बोकारो गोमिया प्रखंड के चतरोचट्टी पंचायत के एक हजार से ज्यादा कामगार अपने घर लौटे हैं. उधर, दिल्ली-मुंबई से निकले मजदूर बनारस में फंसे थे़ वहां से ये लोग ट्रैक्टर-टैंपो कर झारखंड की सीमा तक पहुंचे. उसके बाद ये लोग 50-100 किमी पैदल चल कर अपने घरों तक पहुंचे.

सिमडेगा में फंसे थे पांच बेलोरो, शाम को छूटे

मुंबई से पांच बेलोरो में सवार हो कर प्रवासी मजूदर झारखंड पहुंचे थे. झारखंड की सीमा में प्रवेश की अनुमति नहीं मिल रही थी. जांच-पड़ताल व कागजात देखने के बाद जिला प्रशासन की पहल के बाद प्रवेश की अनुमति मिली. प्रवासी मजदूर के संघ ने पहल की.

माले विधायक विनोद सिंह के ट्विटर पर दर्द बयां कर रहे हैं मजदूर

माले विधायक विनोद सिंह टि्वटर पर दर्द बयां कर रहे हैं. विधायक श्री सिंह प्रवासी मजदूरों के रेस्क्यू को लेकर लगातार प्रयासरत हैं. प्रशासन के लोगों तक सूचना पहुंचा रहे हैं. बाहर रहनेवाले मजदूरों के लौटने से लेकर स्थानीय स्तर पर संपर्क कर भोजन आदि की व्यवस्था में लगे हैं.

खाने के पैसे नहीं, सरकार हमारी मदद करे

मुंबई में दर्जी का काम करने वाले इलयास अंसारी ने बताय कि वे मुंबई के कांता में एक झोपड़पट्टी में रुके हैं. यहां 30 से ज्यादा कपड़ा सिलाई का काम करनेवाले लोग हैं. रोज-रोज का काम था, अभी खाने के पैसे नहीं हैं. हम मजदूरों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व विधायक विनोद सिंह को टि्वट किया है. विधायक विनोद सिंह से बात हुई है. 21 दिन कैसे रहेंगे, ऊपर वाला मालिक है. राज्य सरकार हमारी मदद करे. वहीं, कर्नाटक के टुकुटू स्थित विरची उल्ला रोड में रहने वाले झारखंड के इमरान नजीर ने बताया कि वे फिलहाल मंगलौर में हैं. पांच हजार रुपया किराया पर मकान मिला है. कर्नाटक सरकार ने पानी-बिजली की सुविधा काट दी है. हम टाइल्स मजदूर हैं. विरनी के रहने वाले हैं. सरकार हमारी मदद करे. हम झारखंड लौटना चाहते हैं.

50,000

झारखंडी आफत में

बिस्किट खाकर गुजार रहे दिन, झारखंड सरकार से मदद की लगायी गुहार

कई मजदूरों को अपने गांव तक पहुंचने के लिए 50-100 किमी पैदल चलना पड़ा

सरकार ने जारी किया टोल फ्री नंबर 2282201

Next Article

Exit mobile version