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ट्राइसम भवन में चल रहा है विद्यालय

टेंडर होने के आठ माह बाद भी नहीं शुरू हुआ भवन का निर्माण कुंदा : प्रखंड स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय 11 वर्षों से ट्राइसम भवन में चल रहा है. इस विद्यालय में बच्चियों की संख्या 254 हैं. इस विद्यालय का अपना भवन नहीं बना. तीन कमरे में विद्यालय की बच्चियां एक साथ रहती […]

टेंडर होने के आठ माह बाद भी नहीं शुरू हुआ भवन का निर्माण
कुंदा : प्रखंड स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय 11 वर्षों से ट्राइसम भवन में चल रहा है. इस विद्यालय में बच्चियों की संख्या 254 हैं. इस विद्यालय का अपना भवन नहीं बना.
तीन कमरे में विद्यालय की बच्चियां एक साथ रहती है. इसमें पढ़ाई के साथ रहना सोना भी होता है. भवन निर्माण के लिए शिक्षा विभाग से आठ माह पूर्व टेंडर हुआ. यह टेंडर उमा कंस्ट्रक्शन ने लिया है. इसकी प्राक्कलित राशि करीब तीन करोड़ हैं. लेकिन अब तक संवेदक द्वारा भवन निर्माण का कार्य शुरू नहीं किया गया है. भवन निर्माण के नाम पर कार्य स्थल पर बालू गिरा कर छोड़ दी गयी है. पदाधिकारियों की लापरवाही के कारण संवेदक ने काम शुरू नहीं किया है. छात्राओं को भवन के अभाव में पढ़ाई करने व रहने में परेशानी हो रही है. इस सर्द के मौसम में जैसे-तैसे समय बीत रहा है. ट्राइसम भवन भी अब जर्जर हो चुकी है. वर्ष 1996 में यह भवन बना था.
एक ही बेड पर पढ़ती, सोती व खाती हैं छात्राएं
विद्यालय की छात्राएं जगह के अभाव में जिस बेड पर पढ़ाई करती है, उसी बेड पर खाना खाती है व सोती है. वे लोग बेड के नीचे अपना सामान भी रखती है. एक बेड पर तीन बच्चियां एक साथ सोती है. इससे काफी परेशानी होती है.
विद्यालय में चहारदीवारी नहीं
विद्यालय में कक्षा छह से 12 तक की पढ़ाई होती है. विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चियों की उम्र आठ से लेकर 18 वर्ष हैं. चहारदीवारी नहीं रहने से हमेशा असुरक्षित महसूस करते हैं. चहारदीवारी की जगह बांस का घेराव किया गया है. रात में असामाजिक तत्वों की आशंका बनी रहती है. शौचालय घेराव के अंदर है. लड़कियों को रात में शौच करने में डर महसूस होता है. विद्यालय में मात्र एक ही गार्ड है, जो दिन रात विद्यालय की सुरक्षा में लगा रहता है. साथ ही बाजारों से जरूरी सामान भी लाता है.

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