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2005 के बाद मतदाता निर्भीक हो क रने लगे वोट

त्र 2000 तक दिखा चुनाव बहिष्कार का असर, अब नहीं सिमरिया. सिमरिया का सुभाष चौक विभिन्न राजनीतिक दलों के झंडा-बैनर व प्रचार वाहनों से गुलजार हो रहा है़ मिनट दर मिनट प्रचार वाहन चौक क ो चुनावी रंग में सराबोर कर दिया है़ यहां कई दल के प्रत्याशियों का कार्यालय खुला है़ कार्यालयों में कार्यकर्ताओं […]

त्र 2000 तक दिखा चुनाव बहिष्कार का असर, अब नहीं सिमरिया. सिमरिया का सुभाष चौक विभिन्न राजनीतिक दलों के झंडा-बैनर व प्रचार वाहनों से गुलजार हो रहा है़ मिनट दर मिनट प्रचार वाहन चौक क ो चुनावी रंग में सराबोर कर दिया है़ यहां कई दल के प्रत्याशियों का कार्यालय खुला है़ कार्यालयों में कार्यकर्ताओं की भीड़ लगी रहती है़ चाय दुकान से लेकर पान गुमटी, मिठाई दुकान में बस चुनाव की ही चर्चा करते लोगों को देखा जा रहा है़ किस क्षेत्र में किस प्रत्याशी को मत मिलेगा, यह चर्चा आम है. वर्ष 2005 के चुनाव के बाद से सिमरिया, लावालौंग, टंडवा, पत्थलगड्डा प्रखंड में चुनावी गहमा-गहमी बढ़ने लगी है़ एक दशक पूर्व माओवादियों के चुनाव बहिष्कार का असर चौक-चौराहों पर देखा जाता था़ लोग डर से चुनाव की चर्चा नहीं करते थे़ वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में उक्त प्रखंडों में कम वोट पड़े थे, जिसका लाभ इटखोरी के राजद प्रत्याशी योगेंद्र बैठा क ो मिला था और वे विधायक बने थे़ अब हर गांवों में प्रत्याशी पहुंच रहे हैं़ मतदाता भी खुल कर चुनावी चर्चा करते नजर आ रहे हैं़ कुल मिला कर मतदाता मतदान के प्रति जागरूक हो रहे हैं.

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