Cultivation Of Watermelon In Jharkhand : कोरोना काल में लाखों रुपये का तरबूज खेत में हो रहा खराब, तरबूज की कमाई से बेटी को पढ़ाने का सपना कैसे होगा पूरा, पढ़िए क्या है किसान की पीड़ा

Cultivation Of Watermelon In Jharkhand, बोकारो न्यूज (सुनिल कुमार महतो) : बोकारो जिले के चास प्रखंड स्थित सोनाबाद गांव खेती किसानी के लिए जाना जाता है, लेकिन किसानी करना भी किस्मत का खेल हो गया है. सोनाबाद गांव के राज किशोर महतो ने पहली बार तरबूज की खेती की, लेकिन कोरोना काल में लाखों रुपये का तरबूज खेत में खराब हो रहा है. उन्होंने तरबूज की कमाई से बेटी को पढ़ाने का सपना देखा था, लेकिन ये सपना बिखरता जा रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 14, 2021 3:49 PM

Cultivation Of Watermelon In Jharkhand, बोकारो न्यूज (सुनिल कुमार महतो) : बोकारो जिले के चास प्रखंड स्थित सोनाबाद गांव खेती किसानी के लिए जाना जाता है, लेकिन किसानी करना भी किस्मत का खेल हो गया है. सोनाबाद गांव के राज किशोर महतो ने पहली बार तरबूज की खेती की, लेकिन कोरोना काल में लाखों रुपये का तरबूज खेत में खराब हो रहा है. उन्होंने तरबूज की कमाई से बेटी को पढ़ाने का सपना देखा था, लेकिन ये सपना बिखरता जा रहा है.

दरअसल, उन्होंने किसी तरह कर्ज आदि लेकर डेढ़ एकड़ जमीन में तरबूज की खेती की थी. इसके लिए उन्होंने एक लाख 20 हजार रुपए पूंजी लगायी. इनकी फसल भी अच्छी हुई लेकिन चक्रवाती तूफान यास ने इनकी फसल को तहस-नहस कर दिया. इसके अलावा जो भी तरबूज बाजार जाने के लिए तैयार हुए वह लॉकडाउन की वजह से खेत में ही पड़े रहे. इसके कारण ना तो तरबूज लेकर बाजार तक जा पाए और ना ही बाहर से व्यापारी इन तक पहुंचे. इससे तरबूज की तैयार फसल खेतों में ही रह गई.

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लॉकडाउन से तो किसान लड़ा, लेकिन चक्रवाती तूफान ने तो किसान की कमर ही तोड़ दी. चक्रवाती तूफान के बाद खेतों में पानी भर गया और तरबूज की फसल खराब हो गई. हालत ऐसी हो गई है कि अब यहां किसान खुद ही अपनी उगाई हुई फसल को अपनी आंखों से नष्ट होते हुए देख रहे हैं. इन्होंने तरबूज की खेती के लिए लाखों की पूंजी लगाई थी, लेकिन फिलहाल इन्हें हाथ कुछ नहीं आता दिख रहा है. इससे किसान मायूस हैं. ऐसे में गांव के लोग ही तरबूज उठाकर अपने घर ले जा रहे हैं या फिर खेतों में पड़े-पड़े तरबूज सड़ रहे हैं.

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किसान राज किशोर महतो बताते हैं कि उन्होंने 14 हजार रुपये के बीज ही बोए थे. देख-रेख आदि में कुल एक लाख 20 हजार रुपये खर्च हुए, लेकिन अगर इसकी बिक्री होती तो उन्हें कम से कम 5 लाख रुपये तक का फायदा होता. उन्होंने बताया कि तरबूज की कमाई से कई सपने बुन लिए थे. इसी कमाई से वह मैट्रिक की परीक्षा में 96.6 फीसदी अंक लाने वाली पुत्री सुमिता महतो को आगे की पढ़ाई के लिए कोलकाता भेजना चाहते थे, लेकिन यह सपना अब पूरा होता उन्हें नहीं दिख रहा है. वह पुत्री को यूपीएससी की तैयारी करवाना चाहते थे. अब इन्हें कर्ज लौटाने की चिंता अंदर ही अंदर खाये जा रही है.

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उन्होंने कर्ज लेकर तरबूज की खेती शुरू की थी. फसल बर्बाद होने से मायूस किसान अब मदद के लिए सरकार की तरफ देख रहे हैं, ताकि इन्हें कुछ मुआवजा मिल सके. उन्होंने क्षति हुई फसल को लेकर आवेदन जिला कृषि पदाधिकारी को दिया है. जिसमें उन्होंने आर्थिक तंगी का भी जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से सहायता मिलने पर वह अगले साल भी फसल बोने के लिए तैयार रहेंगे. उन्होंने पत्र की प्रतिलिपि राज्य के कृषि मंत्री व बोकारो उपायुक्त को भी दिया है और प्रशासन के जवाब की आस में बैठे हैं.

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जिला कृषि पदाधिकारी राजीव कुमार मिश्रा ने कहा कि किसान अपनी क्षतिग्रस्त फसल की जानकारी आवेदन के माध्यम से दें. आवेदन को स्थानीय जनसेवक से अटेस्टेड कराकर ही जमा करें. जिस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. किसान को मुआवजा दिलाने का पूरा प्रयास किया जायेगा. किसान को बढ़ावा देने के लिए विभाग हर संभव कार्य करेगा.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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