समय-समय पर ग्रामीणों तथा विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों को कई प्रकार की परेशानी उठानी पड़ती है. कसमार और जरीडीह जैसे प्रखंड में सालों भर जंगली हाथियों के उत्पात से ग्रामीणों को क्षति होती है. इन प्रभावित ग्रामीणों को समय पर मुआवजा का भुगतान भी इसके कारण नहीं मिल पाता है़
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मुआवजा व मजदूरी मिलने में होता है विलंब
बोकारो: बोकारो वन प्रमंडल की स्थापना के लगभग दो दशक होने को हैं, लेकिन अभी तक यह स्थायी वन प्रमंडल नहीं बन पाया है़ सरकार ने बोकारो वन प्रमंडल को व्यापक रूप देते हुए यहां वन संरक्षक (सीएफ) और क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक (आरसीसीएफ) जैसे बड़े अधिकारियों के पदों का सृजन किया़ चास में डीएफओ […]
बोकारो: बोकारो वन प्रमंडल की स्थापना के लगभग दो दशक होने को हैं, लेकिन अभी तक यह स्थायी वन प्रमंडल नहीं बन पाया है़ सरकार ने बोकारो वन प्रमंडल को व्यापक रूप देते हुए यहां वन संरक्षक (सीएफ) और क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक (आरसीसीएफ) जैसे बड़े अधिकारियों के पदों का सृजन किया़ चास में डीएफओ कार्यालय के बगल में ही सीएफ और आरसीसीएफ का कार्यालय (भवन) भी बना़ पर, बोकारो वन प्रमंडल को स्थायी करने की जरूरत सरकार ने अब तक नहीं समझी है़ जबकि, अस्थायी प्रमंडल होने के कारण विभागीय कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है़.
प्रत्येक वर्ष लेना पड़ता है अवधि विस्तार
तीन जनवरी 1998 को राज्य सरकार की अधिसूचना के मुताबिक बोकारो वन प्रमंडल अस्थायी प्रमंडल के तौर पर अस्तित्व में आया है़ स्थायी नहीं होने के कारण इस प्रमंडल को प्रत्येक वर्ष अवधि विस्तार कराना पड़ता है़ मार्च समाप्ति के बाद अवधि विस्तार के लिए प्रस्ताव भेजा जाता है़ इसके तहत वित्त विभाग से एजी के पास चिट्ठी जाती है़ अवधि विस्तार मिलने में तीन-चार महीने और किसी-किसी वर्ष इससे भी अधिक समय लग जाता है़ अवधि विस्तार मिलने तक वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) किसी प्रकार का चेक जारी नहीं कर सकते़ वित्तीय अधिकार पर पाबंदी लग जाती है़ इस कारण कई बार ऐसा हो चुका है कि आवंटन उपलब्ध होने के बावजूद जंगली हाथियों के उत्पात से प्रभावित ग्रामीणों को अवधि विस्तार में विलंब होने के कारण समय पर मुआवजा भुगतान नहीं हो पाया है़
प्लांटेशन का कार्य होता है प्रभावित
बोकारो वन प्रमंडल के अंतर्गत कार्यरत दैनिक वेतनभोगियों को भी काफी दिक्कतें होती है़ं बोकरो वन प्रमंडल में विभिन्न नर्सरी व अन्य जगहों पर काफी संख्या में दैनिक वेतनभोगी कार्यरत हैं. इन्हें हर साल लंबे इंतजार के बाद मार्च महीने के बाद मजदूरी या वेतन मिलता है. साथ ही समय पर राशि निकासी नहीं होने की वजह से प्लांटेशन समेत अन्य कई प्रकार के कार्य भी प्रभावित होते हैं.
बोकारो कई मायने में काफी महत्वपूर्ण वन प्रमंडल है़ अस्थायी स्थापना का प्रमंडल होने के कारण कामकाज में कई प्रकार की दिक्कतें होती है़ं जंगली हाथियों के उत्पात से प्रभावित लोगों को मुआवजा देने की बात हो या दैनिक वेतनभोगियों के भुगतान की, आवंटन होने के बावजूद अधिकारियों के हाथ बंधे रह जाते हैं. स्थायी स्थापना मिलने से कार्यों में निश्चित तौर पर प्रगति आयेगी़
पीआर नायडू, डीएफओ, बोकारो
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