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सीएम बदलने की बात अफवाह : अर्जुन मुंडा
मन की बात. पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा पहुंचे बोकारो, सर्किट हाउस में पत्रकारों से कहा बाबूलाल मरांडी अगर पार्टी में आते हैं, तो उनका स्वागत है बोकारो : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा रविवार को मधुबन से जमशेदपुर जाने के क्रम में बोकारो पहुंचे. बोकारो परिसदन में उन्होंने पत्रकारों से बात की. इस दौरान […]
मन की बात. पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा पहुंचे बोकारो, सर्किट हाउस में पत्रकारों से कहा
बाबूलाल मरांडी अगर पार्टी में आते हैं, तो उनका स्वागत है
बोकारो : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा रविवार को मधुबन से जमशेदपुर जाने के क्रम में बोकारो पहुंचे. बोकारो परिसदन में उन्होंने पत्रकारों से बात की. इस दौरान पत्रकारों ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री से मिलने के बाद आपकी सक्रियता बढ़ रही है. लगातार दौरा जारी है.
चर्चा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री बदले जा सकते हैं, ऐसे में क्या हम प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री से बात कर रहे हैं? इस पर श्री मुंडा ने कहा कि मैं हमेशा से सक्रिय कार्यकर्ता रहा हूं. पार्टी की ओर से जो भी जिम्मेदारी दी गयी है, उसे निभाता रहा हूं. प्रधानमंत्री से कई बार मिला हूं. मुख्यमंत्री बदलने की बात कोरी अफवाह है. ऐसा कुछ नहीं होने वाला है.
उन्होंने कहा कि किसी भी पार्टी में कार्यकर्ताओं का सम्मान होना चाहिए. कार्यकर्ता के आत्म स्वाभिमान से कोई समझौता नहीं हो सकता. भाजपा कार्यकर्ता की पार्टी है. यहां हर कार्यकर्ता काे सम्मान दिया जाता है. श्री मुंडा ने कहा कि योजना सीमित कार्यावधि के लिए होती है, लेकिन कानून लंबे समय के लिए होता है. ऐसे में किसी भी एक्ट में संशोधन करने से पूर्व सभी आयाम पर ध्यान देने की आवश्यकता है. सीएनटी/एसपीटी एक्ट में संशोधन किसी पैमाने पर जरूरी हो सकता है, कानून बनाने से पहले संबंधित वर्ग के सभी कंफ्यूजन को समाप्त करने की आवश्यकता है. इससे जनता व सरकार एक साथ चल सकती है.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नक्सली कुंदन पाहन सरेंडर मामले में कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगी. एक योजना के तहत नक्सली सरेंडर करते हैं. नक्सल समस्या का समाप्त होना भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी पार्टी का विस्तार करना होता है. अगर बाबूलाल मरांडी पार्टी में आते हैं, तो स्वागत है.
क्या कहा मुंडा ने
किसी भी पार्टी में कार्यकर्ता का सम्मान होना चाहिए
किसी भी एक्ट में संशोधन से पूर्व सभी आयाम पर ध्यान देने की आवश्यकता है
कार्यकर्ताआें के स्वाभिमान से कोई समझौता नहीं हो सकता
एक योजना के तहत नक्सली सरेंडर करते हैं, नक्सल समस्या का समाप्त होना भी जरूरी
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