न्यायालय में यह मामला सेशन ट्रायल संख्या 172/15 व हरला थाना कांड संख्या 59/15 के तहत चल रहा था. सरकार की तरफ से इस मामले में विशेष लोक अभियोजक राकेश कुमार राय (आरके राय) ने पक्ष रखा. इस मामले में मृतका के ससुर लालजी मेहरा को बरी कर दिया गया है. घटना की प्राथमिकी मृतका सुमित्रा देवी के पिता धनबाद के बाघमारा निवासी नन्हकू दास ने हरला थाना में दर्ज करायी थी. घटना 11 मार्च 2015 की है.
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हरला थाना क्षेत्र के चौफान गांव में पत्नी को टेंपो के लिए जिंदा जला दिया था, पत्नीहंता को 10 वर्ष की सजा
बोकारो: त्वरित न्यायालय के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश रंजीत कुमार ने दहेज के लिए पत्नी को जिंदा जलाकर मारने के मामले में हरला थाना क्षेत्र के ग्राम चौफान निवासी पति रंजीत मेहरा (30 वर्ष) को बुधवार को 10 वर्ष सश्रम कारावास की सजा दी है. रंजीत मेहरा को गत सोमवार को न्यायालय ने मुजरिम […]
बोकारो: त्वरित न्यायालय के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश रंजीत कुमार ने दहेज के लिए पत्नी को जिंदा जलाकर मारने के मामले में हरला थाना क्षेत्र के ग्राम चौफान निवासी पति रंजीत मेहरा (30 वर्ष) को बुधवार को 10 वर्ष सश्रम कारावास की सजा दी है. रंजीत मेहरा को गत सोमवार को न्यायालय ने मुजरिम करार दिया था. रंजीत मेहरा को सजा सुनाने के बाद न्यायाधीश ने रंजीत के साढ़े तीन वर्षीय पुत्री के पालन-पोषण के लिए मुआवजा दिलाने का निर्देश जिला विधिक सेवा प्राधिकार को दिया है.
दहेज के रूप में टेंपो नहीं मिलने पर जिंदा जला दिया : रंजीत मेहरा का विवाह सुमित्रा से वर्ष 2010 में हुआ था. शादी के बाद रंजीत मेहरा अक्सर अपने ससुर को फोन कर रोजगार के लिए टेंपो की मांग करता था और सुमित्रा को प्रताड़ित करता था. सुमित्रा के पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह टेंपो की मांग पूरी नहीं कर पा रहे थे. 11 मार्च की सुबह रंजीत ने अपने ससुर को फोन कर बताया कि उनकी पुत्री सुमित्रा देवी जल गयी है. सुमित्रा को इलाज के लिए बोकारो जेनरल अस्पताल लाया गया है. रंजीत ने अपने ससुर से सुमित्रा को अस्पताल में भरती कराने के लिए 10 हजार रुपये की मांग की. घटना की सूचना पाकर सुमित्रा के पिता अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ बीजीएच पहुंचे. सुमित्रा 90 प्रतिशत जल चुकी थी. बीजीएच में इलाज के दौरान 24 मार्च 2015 को सुमित्रा की मौत हो गयी थी.
इन धाराओं के तहत मिली सजा : न्यायाधीश ने इस मामले मुजरिम रंजीत मेहरा को भादवि की धारा 304बी के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास की सजा दी है. 4 डीपी एक्ट के तहत छह माह सश्रम कारावास व पांच हजार रुपये जुर्माना की सजा दी गयी है. जुर्माना नहीं देने पर मुजरिम को छह माह की साधारण कारावास होगी. मुजरिम को दी गयी सभी सजा साथ-साथ चलेगी.
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