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इलेक्ट्रोस्टील कर्मी बंधक नहीं बनाये गये थे : अरूप चटर्जी

बोकारो: जिला ही नहीं पूरे राज्य में इलेक्ट्रोस्टील कंपनी के खिलाफ निरसा विधायक अरूप चटर्जी का आंदोलन चर्चा में रहा. दो दिनों की लंबी वार्ता के बाद श्री चटर्जी का आंदोलन खत्म हुआ. आखिरी वार्ता करने आये बोकारो परिसदन में ‘प्रभात खबर’ संवाददाता से पूरे आंदोलन पर बात की. श्री चटर्जी ने कहा : आरोप […]

बोकारो: जिला ही नहीं पूरे राज्य में इलेक्ट्रोस्टील कंपनी के खिलाफ निरसा विधायक अरूप चटर्जी का आंदोलन चर्चा में रहा. दो दिनों की लंबी वार्ता के बाद श्री चटर्जी का आंदोलन खत्म हुआ. आखिरी वार्ता करने आये बोकारो परिसदन में ‘प्रभात खबर’ संवाददाता से पूरे आंदोलन पर बात की. श्री चटर्जी ने कहा : आरोप लगते ही हैं, पर जीत हमेशा सच्ची जिद की होती है.

मेरे साथ भी यही हुआ. तमाम राजनीतिक पार्टियां और मीडिया इस बात पर जोर दे रही है कि मैंने इलेक्ट्रोस्टील के कर्मचारियों को बंधक बनाया, लेकन ऐसी बात नहीं है. नाकेबंदी के दौरान ये तय हुआ था कि बाहर से इलेक्ट्रोस्टील कर्मियों को अंदर नहीं जाने दिया जायेगा. ऐसा कतई नहीं था कि अंदर पहुंचे लोगों को बाहर जाने से रोका जाये. मेरे साथ बैठे सारे समर्थक इस बात को अच्छी तरह से जान रहे थे. जिन्हें अंदर फंसा हुआ बताया जा रहा था. उन्हीं में से एक कंपनी के वरीय पदाधिकारी डॉ सीपी पांडेय ने मुङो तीन बार फोन किया. और जो भी उन्होंने कहा वो मैंने किया. जिन्हें जरूरत थी. उन्हें धरना पर बैठे लोगों ने बाहर पहुंचाने में मदद की.

अगर ऐसा था कि लोग परेशान थे, बीमार थे तो इस बात की सूचना उन्हें क्यों नहीं दी गयी, जबकि अंदर के लोगों से मेरी लगातार बात हो रही थी. रही बात राजनीतिक पार्टियों की, तो मैं यह बताना जरूरी समझूंगा कि यह कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं था. भाजपा, जेवीएम के बड़े नेता भले ही मेरा विरोध कर रहे थे, पर उनकी ही पार्टी के कई लोग आंदोलन में साथ देने के लिए पार्टी छोड़ कर मेरे साथ हो लिये. ताज्जुब की बात यह है कि जिस भाजपा के जिलाध्यक्ष मेरा विरोध कर रहे थे.

उसी भाजपा के प्रखंड स्तरीय नेता मेरे साथ मंच पर आ गये थे. यह इसलिए संभव था क्योंकि निदान स्थानीय लोगों की समस्याओं का होना था. न कि कोई राजनीतिक लाभ के लिए. इस पूरे एपिशोड में भाजपा, झाविमो का नाकारात्मक रूप चंदनकियारी के लोगों ने देखा. कुछ लोगों ने देखा तो यह कह कर बदनाम करने की कोशिश की कि मैंने कर्मियों को बंदी बनाया है. कंपनी के पदाधिकारी व कर्मी मेरे सामने आकर बोलें कि क्या मैंने सच में कर्मियों को बंदी बनाया था. खैर, आखिर में जीत असली लड़ाई की हुई. जीत स्थानीय मुद्दों की हुई. इसमें लाल झंडा कहीं नहीं था. सिर्फ मैं था और मेरे साथ यहां की भीड़, यहां की समस्या, यहां की बेरोजगारी और तमाम परेशानी. मेरी कामना है कि इलेक्ट्रोस्टील भारत की सबसे बड़ी कंपनी बने. मुनाफा कमाये. हर क्षेत्र में तरक्की करे. जिस तरह की लड़ाई मैंने इलेक्ट्रोस्टील के रैयतों के लड़ी, उसी तरह की लड़ाई मैं इलेक्ट्रोस्टील की उन्नति के लिए भी लड़ सकता हूं.

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