बोकारो/बेरमो. तेनुघाट के डैम तेनु-बोकारो नहर के क्षतिग्रस्त स्थल पर दूसरे दिन भी बीएसएल के पूर्व एमडी बीके सिंह एवं कॉरपोरेट ऑफिस दिल्ली के निदेशक तकनीकी श्री रमण के अलावा बीएसएल के इडी वर्क्स एसके सिंह, एजीएम वाटर स्पलाइ अविनाश, जीएम यूटिलीटी बीके झा, जीएम मेटेनेंस राजीव कुशवाहा सहित दो दर्जन से ज्यादा इंजीनियर व कर्मचारी यहां डटे रहे.
विदित हो कि गुरुवार की सुबह से ही बीएसएल के सारे अधिकारी व कर्मचारी रात-दिन यहां काम पर जुटे रहे. शुक्रवार की देर शाम ठोस मरम्मती के बाद कैनाल से पानी छोड़ा गया. शुक्रवार को दूसरे दिन तेनुघाट सिंचाई विभाग के अधिकारी व कर्मचारी मरम्मत स्थल पर नहीं दिखे. बीएसएल के अधिकारियों ने अपने सारे अत्याधुनिक संसाधनों से दिन-रात एक करके कैनाल के टूटे स्थल की मरम्मती की. मरम्मत स्थल पर मौजूद बीएसएल के अधिकारियों ने बताया कि वाटर लीकेज को बंद करने के लिए स्टील की स्ट्रेथिंग व सीलिंग की गयी. सारी सामग्री खुद बीएसएल प्रबंधन दे रहा है. कहा : मरम्मति के बाद शुक्रवार देर शाम पानी छोड़ा गया है. कार्यस्थल पर मौजूद बीएसएल के निदेशक तकनीकी श्री रमण एवं पूर्व एमडी बीके सिंह ने कहा कि कंक्रीट का सारा काम लोहे से कराया गया है ताकि पानी लीकेज स्थल को स्थायी रूप से बंद किया जा सके. इसी के लिए लोहे के प्लेट की सीलिंग की गयी. उन्होंने कहा कि प्लांट में हर हाल में पानी पहुंचाना हमारा लक्ष्य है.
दिखा कार्य के प्रति समर्पण : नहर के टूटे स्थल पर बीएसएल के अधिकारियों व कर्मचारियों ने लगातार तीस घंटे तक मरम्मती कार्य कराया. टूटे स्थल के मरम्मती कार्य यथा लोहे के प्लेट की सीलिंग, वेल्डिंग के अलावा नहर के अंदर बेड की साफ-सफाई के काम में सेल कर्मचारी लगे रहे. प्लेट उठाने के लिए बड़े क्रेन लाये गये थे, बीएसएल से क्रंकीट बनाने की मशीन के अलावा अपनी हैवी वेल्डिंग मशीन लायी गयी थी. बीएसएल के अधिकारियों व कर्मचारियों का कहना था कि उनका एकमात्र लक्ष्य प्लांट तक पानी पहुंचाना है. इधर, लगातार दो दिन तक नहर से जलापूर्ति बाधित रहने के कारण बीएसएल के इस्पात उत्पादन पर असर पड़ा. साथ ही बीएसएल की आवासीय कॉलोनियों में जलापूर्ति भी बाधित हुई. कहा : कैनाल की मरम्मती व जलापूर्ति शुरू होने के बाद ही स्थिति सामान्य हो पायेगी.
बीएसएल के बूते हुआ काम : बीएसएल अगर अपने संसाधन लगाकर टूटे स्थल की मरम्मत नहीं करवाता तथा जल संसाधन व सिंचाई विभाग के भरोसे रहता तो कैनाल से जलापूर्ति संभव नहीं थी. दो दिनों तक मरम्मत स्थल पर सिंचाई विभाग के कुछ संवेदक दिखे, जबकि बीएसएल के अधिकारी व कर्मचारी पूरे तन्मय दिखे. उपायुक्त ने भी गुरुवार को यहां का दौरा कर सिंचाई विभाग के अधिकारियों को कई निर्देश दिया था, लेकिन उनके निर्देश पर कोई गंभीरता नहीं दिखी.
साइड इफेक्ट : तेनु-बोकारो कैनाल 02 नवंबर की रात नौ बजे टूट गया था. उसके बाद से नहर से नियमित रूप बोकारो पानी नहीं आ रहा है. रिसाव के कारण मरम्मती का कार्य लगातार चल रहा था. इसका प्रतिकूल प्रभाव बोकारो स्टील प्लांट की महत्वपूर्ण इकाइयों पर पड़ा है. प्लांट का मिल जोन ठप्प है. पानी के अभाव में प्लांट का उत्पादन प्रभावित हो रहा है. उधर, शहर के सेक्टरों में पेयजल की आपूर्ति बाधित है. फिलहाल, सेक्टरों में दो दिन पर एक टाइम पानी की आपूर्ति की जा रही है.