मायूसी. बीएसएल के 500 समेत सेल के 4100 अधिकारियों का दर्द
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पीआरपी भुगतान के नये मॉडल से जूनियर अधिकारी नाराज
मायूसी. बीएसएल के 500 समेत सेल के 4100 अधिकारियों का दर्द 25 अक्तूबर को बीएसएल अधिकारियों को पीआरपी का भुगतान हुआ. कुछ के खाते में 100 रुपया आया, तो किसी के खाता में निगेटिव मनी आयी. इससे अधिकारियों में रोष है. बोकारो : 25 अक्तूबर को बीएसएल अधिकारियों को पीआरपी का भुगतान हुआ. सत्र 2013-14 […]
25 अक्तूबर को बीएसएल अधिकारियों को पीआरपी का भुगतान हुआ. कुछ के खाते में 100 रुपया आया, तो किसी के खाता में निगेटिव मनी आयी. इससे अधिकारियों में रोष है.
बोकारो : 25 अक्तूबर को बीएसएल अधिकारियों को पीआरपी का भुगतान हुआ. सत्र 2013-14 व 2014-15 पीआरपी भुगतान की आधी राशि का भुगतान होने के बाद जूनियर अधिकारियों का चेहरा खिलने के बजाय मुरझा गया. किसी के खाते में 100 रुपया आया, तो किसी के खाता में निगेटिव मनी आयी. इससे अधिकारियों में रोष है.
अधिकारी सेफी व बोसा के पदाधिकारियों पर जिम्मेदारी निर्वहण नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं. पीआरपी भुगतान के नये प्रारूप से बोकारो के 500 अधिकारी समेत सेल के 4100 से अधिक अधिकारी प्रभावित हुए हैं.
678 को शून्य और 112 को मिला 10 रुपया : सेल के 678 अधिकारियों को निगेटिव से लेकर शून्य रुपया का भुगतान हुआ है. वहीं 112 अधिकारियों को 10 से एक हजार रुपया मिला. 600 अधिकारियों को एक से पांच हजार रुपया का भुगतान किया गया है. ये सभी इ-01 से इ-03 ग्रेड के अधिकारी हैं.
किसी को निगेटिव तो किसी को नाम मात्र की मिली राशि
इसलिए कम हो गयी राशि
पीआरपी भुगतान के नये प्रारूप में एक्चुअल (इंटेंसिव) कटिंग की गयी है. इससे पीआरपी की राशि कम हो गयी. खास कर कोक ओवन सहित अन्य वर्क्स विभाग के अधिकारियों पर इसकी ज्यादा मार पड़ी है. नन वर्क्स विभाग के अधिकारियों पर भी असर हुआ है. उदाहरणस्वरूप : वर्क्स विभाग में काम करने वाले अधिकारी को हर माह यदि 3000 रुपया इंटेंसिव बनता है तो इस हिसाब से वर्ष में 36 हजार रुपया इंसेंटिव बनता है. औसतन पीआरपी दर 25 हजार तय होने पर भुगतान के रूप में 25 हजार – 36 हजार = – 11 हजार रुपया हुआ है. वर्क्स विभाग में ज्यादा इंसेंटिव मिलता है. इसलिए इसके अधिकारियों पर ज्यादा प्रभाव पड़ा.
2012-13 में भी हुआ था विरोध
2012-13 सत्र में भी पीआरपी भुगतान को लेकर विरोध हुआ था. इसी मॉडल पर पीआरपी भुगतान को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया गया था. तत्कालीन सेफी महासचिव सह बोकारो स्टील ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एके सिंह ने
इसके खिलाफ आवाज बुलंद की थी. इसके कारण पीआरपी का भुगतान नहीं हो पाया था.
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