14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

इलेक्ट्रोस्टील की भी हालत नासाज

बोकारो: झारखंड की अन्य कंपनियों की तरह इलेक्ट्रोस्टील की हालत भी नासाज है. खरसावां में अभिजीत ग्रुप के बंद होने और टाटा के मल्टी एक्सल प्लांट के पंत नगर शिफ्ट होने के बाद इलेक्ट्रोस्टील पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं, इस बात को नकारा नहीं जा सकता. कारण आर्थिक तंगी, उत्पादन शुरू न […]

बोकारो: झारखंड की अन्य कंपनियों की तरह इलेक्ट्रोस्टील की हालत भी नासाज है. खरसावां में अभिजीत ग्रुप के बंद होने और टाटा के मल्टी एक्सल प्लांट के पंत नगर शिफ्ट होने के बाद इलेक्ट्रोस्टील पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं, इस बात को नकारा नहीं जा सकता.

कारण आर्थिक तंगी, उत्पादन शुरू न हो पाना और लोकल समस्याएं है. उत्पादन से पहले कुछ मुद्दों को लेकर कंपनी ऐसी फंस गयी है कि उससे ऊबर पाना और मुनाफा बनाना काफी मुश्किल साबित होने वाली बात लग रही है. कंपनी ने अभी तक निवेश के रूप में 10,000 करोड़ रुपये खर्च किये है. पर आमदनी कुछ भी नहीं. रही सही कसर हर महीने के 90 करोड़ बैंक की सूद निकाल रही है.

पांच महीने से बैंक के हरे सिगनल का इंतजार
कंपनी ने खनन का काम 2007 और स्टील कारखाने में जून 2009 से काम शुरू किया. दो साल यानी 2011 के अंत तक प्लांट को तैयार कर लेना था, पर नहीं हुआ. दूसरी ओर कंपनी को हर महीने सूद भरने पड़ रहे थे. 2013 जून तक कंपनी की करीब-करीब सारी जमा पूंजी खत्म हो गयी. बैंक से और लोन मिलना बंद हो गया. पूंजी अब कंपनी के लिए एक मात्र विकल्प था. कंपनी के पास सीडीआर (कॉरपोरेट डेप्थ रिस्ट्रक्चरिंग) के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं बचा. सीडीआर के तहत कंपनी अपनी अधूरे काम के लिए और लोन के लिए बैंक के पास जाती है. बैंक कंपनी की माली हालत देखते हुए लोन का सेटेलमेंट करता है. इस दौरान कंपनी सूद नहीं देती है. जून महीने से ही कंपनी अपने बैंकों के पास सीडीआर के लिए गयी हुई है. हालांकि लोन देने में कंपनी की अगुआई करने वाली एसबीआइ ने कंपनी के प्रपोजल पर अपनी सहमति जता दी, पर पैसा अभी तक नहीं आ पाया है. उम्मीद है कि जनवरी के अंत में शायद कोई शुभ संकेत कंपनी को मिले. जून से लेकर अब-तक इन पांच महीनों में कंपनी सूद से तो बच गयी, पर स्थिति जस की जस बनी रही. सूद के अलावा बाकी खर्च नहीं रुका. अपने कर्मियों को कंपनी बमुश्किल ही वेतन दे पा रही है.

चीन की तकनीक के कारण भी हुई देर
पूरी कंपनी का निर्माण चाइनीज पैटर्न पर है. प्लांट को लगाने के लिए भी चीन के ही तकनीक आये थे. पर जितनी तादाद में कंपनी को चीन के श्रमिकों और इंजीनियरों की जरूरत थी, कंपनी नहीं ला पायी. इसमें वर्क वीजा मिलना सबसे बड़ा कारण रहा. जिस वक्त कंपनी को 3000 चीनी टेक्नीशियनों की जरूरत थी. उस वक्त कंपनी के पास 1000-1200 टेक्निशियन ही थे. ऐसे में काम की रफ्तार काफी धीमी रही. और खर्च बढ़ता रहा.

पचास हजार लोग होंगे प्रभावित
उत्पादन के मुहाने पर एक साल से कंपनी खड़ी है, पर मुनाफा नहीं हो रहा. ऐसे में डूबते को तिनका यानी कंपनी को यदि लोन नहीं मिला तो कंपनी भी अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर वापस हो जायेगी. कंपनी पर किसी तरह का ग्रहण लगता है, तो सीधी तौर पर पचास हजार लोग इससे प्रभावित होंगे. कंपनी के पास अभी करीब 4000 कर्मी हैं. कंपनी पटरी पर लौटती है तो और 15 हजार नयी नियुक्ति होगी. करीब 20,000 लोगों की नौकरी के अलावा 10 हजार ऐसे भी लोग होंगे जो कंपनी से अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पायेंगे. कंपनी में काम करने वालों के परिवार के अलावा करीब 30 हजार लोग ऐसे होंगे, जिनका जीविकोपाजर्न का साधन कंपनी से चलेगा. कंपनी अपने आस-पास के पचास किलोमीटर की जनसंख्या को प्रभावित करेगी.

आंदोलन और प्रदर्शन की लगी झड़ी
कंपनी ने जितनी रणनीति प्लांट को बनाने में बनायी, उससे ज्यादा मेहनत आंदोलनों से निबटने में की. 2013 कंपनी के लिए काफी सिरदर्दी वाला साल रहा. निरसा से मासस विधायक अरूप चटर्जी का आंदोलन कंपनी पर सबसे भारी पड़ा. एक छोटी सी बैठक के बाद 19 नवंबर 2012 को स्टील प्लांट बंद कर दिया गया. 10-11 और 12 जनवरी 2013 को पर्वतपुर ब्लॉक का चक्का जाम हुआ. पच्चीस सितंबर को सबसे बड़े पैमाने पर मासस ने अनिश्चित कालीन धरना दिया. 287 लोगों की गिरफ्तारी हुई. आखिरी बार 24 दिसंबर को डीसी कार्यालय पर मासस और झामुमो ने संयुक्त रूप से एक दिन का धरना दिया और पैदल यात्र निकाली.

कंपनी के साथ रुका तलगड़िया का विकास
कंपनी के साथ-साथ तलगड़िया का भी विकास थम गया है. कंपनी के कर्मियों के आवास बनने के बाद वहां अस्पताल, स्कूल और दूसरी सुविधाओं का आना कंपनी के प्लान में है. आवास का काम 40 फीसदी होने के बाद बंद है. यही हाल दूसरे प्रोजेक्ट की भी है. अगर सारे प्रोजेक्ट सही समय पर पूरे हो जाते तो बीएसएल सिटी के पास इएसएल सिटी भी बन कर तैयार हो गयी रहती.

इलेक्ट्रो स्टील कंपनी अपने स्थानीय परिवेश के साथ राज्य के विकास के लिए हर वक्त तत्पर है. हम उम्मीद करते हैं जमीन संबंधी जो भी कानून है उसके मद्देनजर सभी के साथ न्याय होगा. हम भरोसा करते हैं कि राज्य के भविष्य के साथ-साथ सामूहिक रूप से खुशियां बांटने का काम करेंगे. आरएस सिंह, प्रभारी अधिशासी निदेशक

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें