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‘उद्योगों के लिए बेहतर माहौल सामूहिक जिम्मेदारी’

बोकारो : ‘इंडिया टेलिंग’ की ओर से चास स्थित वीणा रेसिडेंसी में आयोजित ‘‘समाज, प्रशासन व इंडस्ट्री में आंतरिक संबंध व झारखंड के सर्वागीण विकास’’ विषयक सेमिनार में धनबाद स्थित आइएसएम के मैनेजमेंट स्टडी विभाग के प्रमुख डॉ प्रमोद पाठक ने कहा : सूचना के दौर में विवेचना का काम कम हो रहा है. आजादी […]

बोकारो : ‘इंडिया टेलिंग’ की ओर से चास स्थित वीणा रेसिडेंसी में आयोजित ‘‘समाज, प्रशासन व इंडस्ट्री में आंतरिक संबंध व झारखंड के सर्वागीण विकास’’ विषयक सेमिनार में धनबाद स्थित आइएसएम के मैनेजमेंट स्टडी विभाग के प्रमुख डॉ प्रमोद पाठक ने कहा : सूचना के दौर में विवेचना का काम कम हो रहा है. आजादी के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने झारखंड क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र के तौर पर डेवलप करने का प्लान बनाया था.
सरकार की पहल के बाद इस क्षेत्र ने काफी विकास भी किया. वर्तमान में झारखंड की स्थिति उस दौर से भी खराब है. पहले उद्योग था, अब ठेकेदारी शुरू हो गयी है. राज्य बंटवारे के बाद के बिहार तरक्की की राह पर चला गया, जबकि राजनीति के प्रभाव व रणनीति के अभाव में झारखंड पिछड़ता चला गया. झारखंड में उद्योग की काफी संभावना है. समाज, प्रशासन व इंडस्ट्रीज में सामंजस्य की कमी के कारण सारी संभावना कोरे कागज की तरह खाली ही रह गयी. जरूरत है समाज, प्रशासन व इंडस्ट्रीज में सामंजस्य स्थापित करने की, ताकि क्षेत्र का विकास हो सके.
कंपनी की नीति के कारण समाज में उथल- पुथल
निरसा विधायक अरूप चटर्जी ने कहा : कंपनी सिर्फ फायदा कमाना जानती है. जनसरोकार से कंपनी को कुछ लेना देना नहीं होता. कंपनी की नीति के कारण समाज में उथल-पुथल होता है. इन्हीं हालात में कंपनी को विरोध का सामना करना पड़ता है. फायदा कमाने के लिए कंपनी स्वयं उत्पादन नहीं कर रही. ठेका पर मजदूरों से काम लिया जा रहा है.
प्रदेश विस्थापन की समस्या से ग्रस्त है. विस्थापितों को अगर सही हक मिल जाये, तो वे आंदोलन का रास्ता छोड़ देंगे. राज्य बंटवारे के बाद भी बीएसएल जैसे सरकारी उपक्रम में स्थानीय लोगों को काम नहीं मिल रहा है. ठेका मजदूरी में भी बाहरी लोगों को बहाल किया जा रहा है. श्री चटर्जी ने कहा : इंडस्ट्री से विकास होता है, पर उस विकास में आम जनता को भी भागीदार बनाने की जरूरत है. राजनेता, प्रशासन व उद्योग को अपने दायित्व निर्वाह करने की जरूरत है. विचार के आदान प्रदान से झारखंड दोबारा बेस्ट औद्योगिक क्षेत्र के रूप में उभर सकता है.
झारखंड में खनिज से ज्यादा प्रतिबंध है
गुणवंत सिंह सलूजा ने कहा : देश में सबसे ज्यादा खनिज पदार्थ झारखंड में पाया जाता है, पर खनिज का इस्तेमाल करने की आजादी नहीं है. राज्य में जितना खनिज है, उससे ज्यादा प्रतिबंध है. सरकारी नीति के कारण खनिज धरती के अंदर ही छिपे रहने पर विवश हैं. खनिज को तिजोरी से बाहर निकालने की जरूरत है. कहा : राज्य में बात बड़ी- बड़ी होती है, पर काम बहुत छोटा होता है. हर सरकार बड़े उद्योगपतियों को ही राज्य में कारखाना लगाने के लिए आमंत्रित करती है.
समाज का समुचित विकास के लिए छोटे व मंझोले आकार के उद्योगों का विकास जरूरी है. छोटे उद्योग से ज्यादा रोजगार पनपते हैं. जरूरत है सिर्फ बुनियादी सुविधा देने की. प्रशासनिक उदासीनता के कारण ही छोटे व्यवसायी काम में हाथ लगाने से डरते हैं. छोटे उद्योग को बढ़ावा देकर ही मेक इन इंडिया का सपना पूरा हो सकता है. बड़े उद्योग के साथ छोटे उद्योग को भी आगे करने की जरूरत है.
राज्य क्यों पिछड़ा है, सोचने की जरूरत
अभिषेक कश्यप ने कहा : कोयला, लौह अयस्क व अन्य खनिज के मामले में झारखंड का विश्व में महत्वपूर्ण स्थान है. फिर भी राज्य का हाल बेहाल है. इसके पीछे के कारण को तलाशने की जरूरत है.
सरकारी अधिकारी, प्रशासन की जिम्मेदारी विधि व्यवस्था को कायम रखना होता है. इंडस्ट्री का काम उत्पादन के साथ-साथ रोजगार के अवसर पैदा करना है. उद्योग व प्रशासन के बीच संबंध स्थापित कर के ही समाज का भला हो सकता है. संबंध स्थापित नहीं होने की स्थिति में प्रशासन व उद्योगों का लाभ समाज को नहीं मिल पाता है.
श्री कश्यप ने कहा : सरकार मेक इन इंडिया की बात कर रही है. विदेशी निवेश कर विकास की बात हो रही है. इन सब के बावजूद भी निवेश के मामले में देश का स्थान 142वां है. सरकारी नीति को दुरुस्त किये बिना कोई भी मिशन पूरा नहीं हो सकता. बुनियादी क्षेत्र को विकास ही असली विकास है. प्रशासन व उद्योग के बीच की दूरी कम हो इसके लिए नीति बनाने की जरूरत है.
इनकी रही सहभागिता
बोकारो चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के संरक्षक संजय वैद, अध्यक्ष मनोज चौधरी, सिद्धार्थ सिंह उर्फ माना, सिद्धार्थ सिंह पारख, हेल्पिंग हैंड्स के संस्थापक अध्यक्ष गोपाल मुरारका, सांसद प्रतिनिधि राजीव कंठ, इलेक्ट्रोस्टील के सुरक्षा प्रमुख वीएस तिवारी, संचार प्रमुख रोहित चंद्र सिंह, हिंदी दैनिक ‘आवाज’ के पूर्व संपादक डॉ रवींद्र सिंह, ‘यशपत्र’ के संपादक एन मुरलीधरन, एचएससीएल के अभियंता राजीव रंजन, डीपीएस की उप प्राचार्या परमजीत कौर, हेड मिस्ट्रेस प्रतिमा सिन्हा सहित बोकारो, धनबाद व गिरिडीह के दर्जनों गणमान्य लोग उपस्थित थे.

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