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बिना बस चलाये वसूलते हैं चार माह का किराया

बोकारो : निजी स्कूल वर्ष में लगभग चार माह बिना बस चलाये ही का बस किराया वसूल लेते हैं. निजी स्कूल वर्ष में अधिकतम 220 से 240 दिन ही संचालित होते हैं. ऐसे में अगर प्रबंधन द्वारा वर्ष में 240 दिन भी बसें चलायी जाती हैं, तो 125 दिन बिना बस चलाये ही किराया लिया […]

बोकारो : निजी स्कूल वर्ष में लगभग चार माह बिना बस चलाये ही का बस किराया वसूल लेते हैं. निजी स्कूल वर्ष में अधिकतम 220 से 240 दिन ही संचालित होते हैं. ऐसे में अगर प्रबंधन द्वारा वर्ष में 240 दिन भी बसें चलायी जाती हैं, तो 125 दिन बिना बस चलाये ही किराया लिया जाता है. कुछ स्कूल गरमी की छुट्टी का किराया नहीं लेते. झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण के आदेश के अनुरूप स्कूलों को वर्ष में 11 महीने का ही बस किराया लेना है, इसके बाद भी अधिकतर स्कूल वर्ष भर का किराया वसूल लेते हैं.

53 सीट वाली एक बस में लगभग 60 बच्चे तक बैठते हैं. स्कूलों का बस किराया 500 से लेकर 700 रुपये तक है. ऐसे में अगर न्यूनतम बस किराया भी लिया जाय तो एक बस से स्कूल को लगभग 30 हजार रुपये महीना किराया प्राप्त होता है. बिना बस चलाये स्कूल एक बस से वर्ष भर में लगभग 1,20,000 रुपये की कमाई करते है. इस चार माह में बस परिचालन के लिए स्कूल को केवल ड्राइवर व खलासी को वेतन देना होता है.

अधिकतर स्कूलों में ड्राइवर को सात से दस हजार रुपये व खलासी के तीन से पांच हजार रुपये वेतन दिया जाता है. अगर स्कूल चार माह में 60 हजार रुपये चालक व खलासी के वेतन पर खर्च कर देता तो भी स्कूल को 60 हजार की आमदनी बिना बस चलाये होती है.

सरकार देती है टैक्स में 50 फीसदी की छूट : स्कूल के नाम से निबंधित बसों के एडिशनल टैक्स में परिवहन विभाग 50 फीसदी की छूट देता है. छूट इस शर्त के साथ दी गयी है, कि वह इसका लाभ बच्चों को देंगे. स्कूल टैक्स में छूट तो लेते हैं, पर इसका लाभ कभी बच्चों को नहीं देते. बोकारो में स्कूल के नाम से निबंधित लगभग 500 बसें हैं. एक बस को वर्ष भर में टैक्स में 10,608 रुपये की छूट मिलती है. ऐसे में एक वर्ष में सरकार बोकारो के स्कूल बसों को लगभग 53 लाख रुपये का छूट देती है.

एक तिमाही में एक बस के लिए कुल 5304 रुपये एडिशनल टैक्स देना होता है. बस को इसमें 50 फीसदी की छूट मिलती है. इस तरह स्कूल को एक तिमाही में 2652 रुपये ही देने पड़ते हैं. वर्ष भर में कुल 21216 रुपये की जगह स्कूल को 10608 रुपये देना होता है.

लंबी दूरी में रिजेक्ट बस स्कूल में सेलेक्ट : स्कूल में ठेका पर चलने वाली अधिकांश बसें लंबी दूरी में रिजेक्ट की गयी बसें हैं. ठेका पर चलने वाली बस दुर्घटनाग्रस्त होने पर स्कूल इसकी जिम्मेदारी लेने से कतराते हैं.

बिना बस चलाये कमाई का गणित

एक वर्ष में कुल दिन : 365

स्कूल चलते हैं : 220 से 240 दिन

स्कूल बस नहीं चलतीं : 125 दिन यानी लगभग चार माह

एक बच्चे का औसत बस किराया : 500 रुपये

53 सीट वाली एक बस में कुल बच्चों की संख्या : 60

एक बस से प्राप्त होने वाली मासिक औसत किराया : 30,000 रुपये

चार माह में प्राप्त कुल किराया : 120000 रुपये

चालक व खलासी वेतन मद में एक माह में खर्च : 15000 रुपये

चार माह में चालक व खलासी वेतन मद में खर्च : 60000 रुपये

स्कूलों को एक बस चलाये बिना बचत : 60,000 रुपये

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