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चास जेल के बंदी की ऑनलाइन पेशी

बोकारो: स्थानीय व्यवहार न्यायालय परिसर में शनिवार को इ-कोर्ट का ऑन लाइन उद्घाटन हुआ. राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बोकारो स्थित इ-कोर्ट का ऑन लाइन उद्घाटन किया. ऑन लाइन उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री के साथ उच्चतम न्यायालय के जस्टिस टीएस ठाकुर, अमील आर देव, झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह, उच्च न्यायालय […]

बोकारो: स्थानीय व्यवहार न्यायालय परिसर में शनिवार को इ-कोर्ट का ऑन लाइन उद्घाटन हुआ. राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बोकारो स्थित इ-कोर्ट का ऑन लाइन उद्घाटन किया. ऑन लाइन उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री के साथ उच्चतम न्यायालय के जस्टिस टीएस ठाकुर, अमील आर देव, झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश डीएन पटेल भी मौजूद थे. ऑन लाइन उद्घाटन के बाद स्थानीय प्रधान जिला न्यायाधीश अमिताभ कुमार ने फीता काट कर इ-कोर्ट का उद्घाटन किया.
सूचक की गवाही हुई : न्यायालय के प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश प्रथम ललित प्रकाश ने इ-कोर्ट में सबसे पहले हत्या के एक मामले की सुनवाई की. हत्या के इस मामले में चास जेल में बंद विचाराधीन बंदी कमल प्रमाणिक को ऑन लाइन जेल से कोर्ट में उपस्थापन कराया गया. न्यायाधीश ने इस मामले में केस के सूचक की गवाही ली.

इ-कोर्ट के संबंध में प्रधान जिला न्यायाधीश अमिताभ कुमार ने बताया : इस कोर्ट के माध्यम से अब भारत के किसी जेल में बंद अभियुक्त की पेशी स्थानीय न्यायालय में ऑन लाइन हो सकेगी. बोकारो में फिलहाल में दो ई-कोर्ट खुला है. ऑन लाइन पेशी के कारण कुछ माह में कैदियों को जेल से अदालत में सशरीर उपस्थापन कराने की बाध्यता समाप्त हो जायेगी. इ-कोर्ट का विस्तार होने से जेल में बंद सभी कैदी ऑन लाइन अदालत के समक्ष उपस्थित हो सकेंगे. कोर्ट के उद्घाटन के दौरान न्यायालय के सभी न्यायाधीश व दंडाधिकारी मौजूद थे. बोकारो बार एसोसिएशन से जुड़े दर्जनों अधिवक्ता भी उपस्थित थे.

इ-कोर्ट से जुड़ेंगे थाना व अस्पताल
आने वाले समय में आम लोगों को त्वरित न्याय दिलाने के क्षेत्र में इ-कोर्ट की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. किसी भी स्थिति में अब बंदी को कोर्ट के समक्ष उपस्थापन कराना काफी आसान हो गया है. त्वरित न्याय के साथ-साथ सरकार के खर्च में भी कमी आयेगी. कुछ वर्षो में इ-कोर्ट से सभी थाना व सरकारी अस्पताल को भी जोड़ दिया जायेगा. इससे केस के अनुसंधानकर्ता व चिकित्सक थाना और अस्पताल से ही अपनी गवाही ऑन लाइन दे सकेंगे. स्थानांतरित होकर दूसरे जिला गये पुलिस अधिकारियों व चिकित्सकों को छुट्टी लेकर गवाही देने नहीं आना पड़ेगा. वह ऑन लाइन ही अपना पक्ष न्यायालय के समक्ष रख सकते हैं.

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