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बेटे के सपनों के लिए कुरबान की नींद..
बोकारो: को-ऑपरेटिव कॉलोनी जब बन रही थी, तब किसी की आंखों में अपने बेटे का सुनहरा सपना पल रहा था. इस सपना को पूरा करने में कई रातों की नींद कुरबान हो गयी. सपनों के लिए निंद की कुरबानी की थी बोक ारो को-ऑपरेटिव कॉलोनी में पान दुकान चलाने वाले लक्ष्मण प्रसाद ने. भाइयों के […]
बोकारो: को-ऑपरेटिव कॉलोनी जब बन रही थी, तब किसी की आंखों में अपने बेटे का सुनहरा सपना पल रहा था. इस सपना को पूरा करने में कई रातों की नींद कुरबान हो गयी. सपनों के लिए निंद की कुरबानी की थी बोक ारो को-ऑपरेटिव कॉलोनी में पान दुकान चलाने वाले लक्ष्मण प्रसाद ने. भाइयों के ताने सुन कर 1972 में जब लक्ष्मण प्रसाद बोकारो आये तो उनके पास महज 20 रुपया था. इसी पूंजी से इन्होंने पान गुमटी खोली.
नहीं छोड़ सकते इस दुकान को : जिंदगी की गाड़ी रफ्तार पकड़ने लगी तो श्री प्रसाद 1975 में चकरी बाजार, अमवारी, सीवान (बिहार) से परिवार को बोकारो ले आये. आज इनका छोटा बेटा जय प्रकाश (2012 से) बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी के पद पर बैंगलोर में पदस्थापित है. बड़ा बेटा ओम प्रकाश बीएसएल में ठेकेदार है. बावजूद इसके श्री प्रसाद पान दुकान चलाते हैं. कहते हैं : यही मेरी पूंजी है, जिसने विकट परिस्थिति में मेरा साथ दिया था. इसे कैसे छोड़ सकता हूं.
पिता की सीख को आजमाया : श्री प्रसाद को बचपन में उनके पिता रामचंद्र साह ने उन्हें मुस्कुराते हुए कठिन परिस्थिति में जीना सिखाया. यही सीख वह अपने दोनों बेटे को दी. बेटे को हर मोड़ पर मेहनत करना सिखाया. इसी से प्रेरणा लेकर दोनों बेटे सफल राह के मुसाफिर बन सके.
पेंटीकॉस्टल से आरवीएस-चास तक
श्री प्रसाद बताते हैं : 1989 में द पेंटीकॉस्टल एसेंबली स्कूल में जय प्रकाश का नामांकन कराया. प्राचार्या रीता प्रसाद व निदेशक डॉ डीएन प्रसाद ने 10वीं तक स्कूल फी सहित कई सहयोग किया. वर्ष 2006 में जय प्रकाश ने 12वीं बोर्ड सेक्टर- तीन स्थित बीआइएसएसएस से किया. ग्रेजुएशन रण विजय सिंह कॉलेज-चास से किया. बचपन कठिन परिस्थिति में जीने के कारण जय प्रकाश का स्कूली जीवन संकोच भरा रहा था.
करते हैं भाइयों व ग्रामीणों की मदद
श्री प्रसाद बताते हैं : समय खराब होने पर जो भाई ताने देते थे, वह उन्हीं भाइयों की मदद करते हैं. बताते हैं : बड़ी बेटी गीता देवी के पति का देहांत हो गया है. उसे वह हर प्रकार की मदद करता है. जरूरत होने पर वह ग्रामीणों की भी मदद करते हैं. उधर, पेंटीकॉस्टल के निदेशक डॉ. डीएन प्रसाद ने मंगलवार को बताया : जयप्रकाश पढ़ने में औसत था. स्कूल की तरफ से उसे हर तरह का सहयोग दिया गया.
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