16 बोक 49 – नुरू देवीजैनामोड़. जरीडीह बस्ती निवासी 61 वर्षीय नुरू देवी को एक रहनुमा की जरूरत है. परिवार में इनकी मदद के लिए कोई नहीं रह गया है़ वह कहती है जिसका कोई नहीं होता है, उसके मायके से मदद की थोड़ी आस होती है, लेकिन माता-पिता को मैं खो चुकी हूं. मेरा कोई वारिस नहीं है. हर कोई मेरी तकलीफ को सुनता है, लेकिन मदद नहीं करता. पति कालीपद सिंह के निधन के बाद उन्हें देखने वाला कोई नहीं है. सरकार से वृद्धा पेंशन मिले तो जीवन का किसी तरह निर्वाह हो, लेकिन वह भी नहीं मिलता है. बरसात के दिन में टूटे-फूटे घर की छत से पानी टपकने लगा, तब जैनामोड़ आयी. यहां विपल्व सिंह ने अपने यहां शरण दी और दो जून की रोटी दे रहे हैं.
जरीडीह की नुरू देवी को एक रहनुमा की जरूरत
16 बोक 49 – नुरू देवीजैनामोड़. जरीडीह बस्ती निवासी 61 वर्षीय नुरू देवी को एक रहनुमा की जरूरत है. परिवार में इनकी मदद के लिए कोई नहीं रह गया है़ वह कहती है जिसका कोई नहीं होता है, उसके मायके से मदद की थोड़ी आस होती है, लेकिन माता-पिता को मैं खो चुकी हूं. मेरा […]
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