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अवमानना के दोषी मुख्यमंत्री : विधायक

बोकारो: राज्य की 25 कैप्टिव खदान में अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है. राज्य सरकार अपने मन की करने में लगी हुई है. राज्य में कच्चे माल की कमी से कल-कारखानों पर बंदी का खतरा मंडरा रहा है. इससे परे झारखंड सरकार नवीनीकरण नहीं करने की जिद्द पर अड़ी हुई है. ऐसी सरकार को अविलंब […]

बोकारो: राज्य की 25 कैप्टिव खदान में अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है. राज्य सरकार अपने मन की करने में लगी हुई है. राज्य में कच्चे माल की कमी से कल-कारखानों पर बंदी का खतरा मंडरा रहा है.

इससे परे झारखंड सरकार नवीनीकरण नहीं करने की जिद्द पर अड़ी हुई है. ऐसी सरकार को अविलंब बरखास्त किया जना चाहिए. बोकारो विधायक इस मामले पर चुप्पी साधे बैठे हैं. ऐसे समय में बोकारो के विधायक समरेश सिंह बीएसएल की उत्पादन क्षमता 10 मिलियन टन होने की भ्रामक खबर फैला रहे हैं. यह आम जनता को ठगने जैसा कार्य है. यह बातें शुक्रवार को सेक्टर नौ स्थित आवासीय कार्यालय में चंदनकियारी विधायक उमाकांत रजक ने कही.

सीबीआइ जांच की मांग : झारखंड सरकार ने न्यायालय के खदान आवंटन रद्द करने के आदेश का पालन नहीं किया, जबकि ओड़िशा सरकार ने हूबहू पालन किया. ओड़िशा ने अपने कल कारखानों को सुचारु संचालन के लिए एक्सप्रेस ऑर्डर से खनन की अनुमति दी है. झारखंड सरकार ने तीन सितंबर को लाइसेंस रद्द किया. इस अवधि में करोड़ों रुपये के कच्च माल का उठाव हो गया. इसकी सबीआइ से जांच होनी चाहिए.

बीएसएल से जुड़ी है लाखों जिंदगी : विधायक ने न्यायालय की अवमानना के आरोप में राष्ट्रपति से राज्य सरकार को बरखास्त करने की मांग की. साथ ही अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर लौह उद्योगों को बचाने के लिए कच्चे माल की आपूर्ति के लिए विशेष आर्डर देने की अपील की. कहा : बोकारो इस्पात संयंत्र से लाखों लोगों की जिंदगी जुड़ी हुई है. इस मामले से झारखंड सरकार की चुप्पी को उन्होंने अपराध करार दिया.

झारखंड सरकार ने खदान मालिकों से मांगा मात्र 660 करोड़

कहा : खदान संबंधी गड़बड़ी के शाह जांच कमेटी के प्रतिवेदन के आलोक में उच्चतम न्यायालय ने झारखंड सरकार को खदान लीज धारियों से 14 हजार करोड़ वसूली का आदेश दिया था. इसे दरकिनार कर झारखंड सरकार ने मात्र 660 करोड़ रुपया ही खदान मालिकों से मांगा. सरकार के इस रवैये से राज्य को साढ़े 13 हजार करोड़ का घाटा होगा. दिखावे के लिए चाईबासा के खनन पदाधिकारी को नोटिस जारी किया गया. इसके आगे कोई कार्रवाई नहीं की गयी. इसे देखते हुए न्यायालय ने ब्लॉक का आवंटन रद्द करने का आदेश दिया.

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