गढ़वा: रंका के भौंरी गांव से गिरफ्तार भाकपा माओवादी के इनामी एरिया कमांडर जितेंद्र कोरवा ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि वर्ष 1993 में नक्सली संगठन में शामिल होने के बाद कामेश्वर बैठा ने उसे हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया था. पूर्व सांसद श्री बैठा तब भाकपा पीपुल्स वार के बड़े नेता हुआ करते थे.
उन्होंने ही उग्रवादियों को अन्य गतिविधियों के विषय में उसे प्रशिक्षण दिया था. पूछताछ के बाद पुलिस ने कोरवा को जेल भेज दिया. पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार झा ने गुरुवार को प्रेसवार्ता कर बताया कि जितेंद्र कोरवा वर्ष 1993 से माओवादी के लिए काम कर रहा था.
वह 64 मामलों में आरोपी है. उसके खिलाफ गढ़वा में 42, पलामू में सात व छत्तीसगढ़ में 15 मामले दर्ज हैं. उसने लेवी वसूली से लेकर हत्या, बमकांड, पुलिस मुठभेड़ जैसी घटनाओं को अंजाम दिया था. झारखंड सरकार ने उस पर तीन लाख रुपये का इनाम घोषित किया था.
अपने ही कट्टे से गोली लगी : एसपी ने बताया कि जितेंद्र को भौंरी गांव में एक भोज में शामिल होने की सूचना सीआरपीएफ के वीके सिंह को मिल गयी थी. पुलिस को देखते ही वह भागने का प्रयास करने लगा. इसी दौरान अपने ही कट्टे से उसके पैर में गोली लग गयी और वह पकड़ा गया. एसपी ने बताया कि माओवादी विशाल व जितेंद्र कोरवा की गिरफ्तारी से गढ़वा जिले में नक्सली संगठनों का सफाया हो जायेगा. अब एकमात्र उग्रवादी भरत सिंह खरवार उर्फ भानु बचा है.
2013 में संगठन से अलग हो गया था : एसपी श्री झा ने बताया कि वर्ष 2013 में जितेंद्र भाकपा माओवादी संगठन से वह हट गया था. माओवादी विशाल उससे लेवी का काम कराता था. इसी दौरान जितेंद्र लेवी की राशि लेकर भाग गया था. संगठन से हटने के बाद से वह छिप कर रहता था.