बोकारो: शिक्षा का सही अर्थ शिक्षार्थियों में सृजनशीलता को जन्म देना है. यह बात हिमांशु कुमार वर्मा ने सरस्वती विद्या मंदिर 3/सी में आयोजित संकुल स्तरीय आचार्य कार्यशाला में कही.
श्री वर्मा ने कहा : विद्यार्थियों में अच्छे आचार, विचार व व्यवहार का होना जरूरी है. आधुनिक शिक्षा पद्धति में हमें पुरातन विषयों की पुनरस्थापना के साथ नवीनता की अच्छाइयों को स्वीकारते हुए आत्मसात कराना है. ऐसे गुणों के विकास से हम ऊचाइयों को छू सकते हैं. हमारी पूंजी अनुशासन है. हमें इसे अक्षुण्ण बनाये रखना है.
प्राचार्य राजाराम शर्मा ने कहा : कार्यशाला में प्रशिक्षकों द्वारा बताये गये नवीनतम तौर तरीके व आपसी विचारों के आदान प्रदान से विषय वस्तुओं के गहराइयों तक जाकर हम विद्यार्थियों का सर्वागीण विकास कर सकते हैं. शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई. प्रो पीसी ठाकुर व डॉ अंजना वर्मा ने अलग-अलग सत्रों में आचार्यो को अपने शैक्षिक तौर-तरीकों से अवगत कराया. संचालन कुणाल पंडित व धन्यवाद ज्ञापन संजीव कुमार सिन्हा ने किया. डॉ शैलेश मिश्र, गीता मिश्र, डॉ रश्मि प्रसाद सहित संकुल के सभी विद्यालयों के प्राचार्य-आचार्य उपस्थित थे.