बोकारो : व्यवसाय जगत के लिए 2018 रहा औसत

बोकारो : जीएसटी की दर में बार-बार बदलाव, बोकारो इस्पात संयंत्र की स्थिति, शहर में विकास के नाम पर कुछ खास नहीं होना… इन कारणों से बोकारो का व्यवसाय 2018 में कुछ खास उत्साहित नजर नहीं आया. स्थानीय व राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य का असर बोकारो के बाजार में हुआ. लेकिन, 2019 व्यवसायियों को उत्साहित कर रहा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 4, 2019 9:09 AM
बोकारो : जीएसटी की दर में बार-बार बदलाव, बोकारो इस्पात संयंत्र की स्थिति, शहर में विकास के नाम पर कुछ खास नहीं होना… इन कारणों से बोकारो का व्यवसाय 2018 में कुछ खास उत्साहित नजर नहीं आया. स्थानीय व राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य का असर बोकारो के बाजार में हुआ. लेकिन, 2019 व्यवसायियों को उत्साहित कर रहा है.
जीएसटी की उठा-पटक समाप्त हो गयी. साथ ही बीएसएल भी मुनाफा भी बढ़ने लगा है. ऐसे कई कारण है जिससे बाजार में रौनक बढ़ने की संभावना है.
गुरुवार को प्रभात खबर ने शहर के व्यवसायी व व्यावसायिक संगठन से व्यवसाय के मूड को समझने की कोशिश की. व्यवसायियों की माने तो व्यवसाय उठा-पटक का नाम है. जोखिम व नियमावली से व्यवसायियों को हमेशा गुजरना पड़ता है. साथ ही हमेशा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ता है. इस हिसाब से 2019 में चुनौतियों के बाद भी व्यवसाय लाभप्रद स्थिति में रहने वाली है.
व्यावसायिक संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा
2018 जीएसटी के झटका वाला वर्ष था. कई बार दर में बदलाव किया गया. इससे व्यवसाय को बराबर अपडेट करते रहना पड़ा. कागजी कार्रवाई बढ़ गयी. इ मार्केट का भी असर देखने को मिला. सरकारी व्यवस्था में जेम्स से खरीदारी की अनिवार्यता से भी असर हुआ है. जहां तक 2019 की बात है, उम्मीद बेहतर की है. बाजार में स्थिरता आयेगी.
ज्ञानेंद्र पांडेय, उपाध्यक्ष – बोकारो चैंबर ऑफ कॉमर्स
ऑटो सेक्टर के लिए 2018 कुछ खास नहीं रहा. सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का असर देखने को मिला. इंश्योरेंस में हुए बदलाव से मार्केट पर नकारात्मक असर हुआ. इधर, राज्य सरकार ने रोड टैक्स में इजाफा किया है. इसका असर 2019 में होने की संभावना है. लाख चुनौतियों से हंसते हुए बाहर निकलना ही तो व्यवसाय है. 2019 अच्छा ही होगा.
रवींद्र कुमार, अध्यक्ष- बोकारो चैंबर ऑफ कॉमर्स
बोकारो में व्यावसायिक गतिविधि सुस्त हो गयी है. स्थानीय से राष्ट्रीय स्तर के कारण ऐसा हुआ है. शहर का व्यवसाय काफी हद तक बीएसएल पर निर्भर है. बीएसएल में कर्मियों की संख्या दिनों दिन कम हो रही है. 2019 शहर के लिए बेहतर होने की उम्मीद है क्योंकि केंद्र की योजनाओं के कारण इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप होगा. स्टील सेक्टर भी बूम करेगा.
राजेंद्र विश्वकर्मा, अध्यक्ष- व्यावसायिक प्लॉट होल्डर्स वेलफेयर एसोसिएशन
2018 में व्यवसाय औसत दर्जे का रहा. जीएसटी व नोटबंदी के अलावा कई स्थानीय कारण भी इसके लिए जिम्मेदार है. बाजार में खरीदार की संख्या ही कम हो गयी है. बीएसएल का विस्तारीकरण नहीं होने से भी बाजार में नकारात्मक असर हो रहा है. जहां तक 2019 की बात है, बाजार में रौनक आयेगी. क्योंकि मार्केट का ट्रेंड हर साल बदलता है.
रंजन गुप्ता, महासचिव- दी सिटी सेंटर ट्रेडर्स एसोसिएशन

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