लुटा दी गयी जनता की कमाई : दास

बोकारो : यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर बैंक कर्मी मंगलवार को हड़ताल पर रहे. बोकारो-चास के सभी सरकारी बैंकों में ताले लटके रहे. जिला में लगभग 150 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ. बैंकों के मुख्य द्वार पर दिन भर धरना-प्रदर्शन व बैठक का दौर चलता रहा. हड़ताल के कारण व्यवसायियों व […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 23, 2017 10:32 AM
बोकारो : यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर बैंक कर्मी मंगलवार को हड़ताल पर रहे. बोकारो-चास के सभी सरकारी बैंकों में ताले लटके रहे. जिला में लगभग 150 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ. बैंकों के मुख्य द्वार पर दिन भर धरना-प्रदर्शन व बैठक का दौर चलता रहा. हड़ताल के कारण व्यवसायियों व आम ग्राहकों को परेशानियों का सामना करना पड़ा.

ग्राहकों की लंबी कतारें एटीएम में दिखी. हड़ताल में एआइबीइए, एआइबीओसी, एनसीबीइ, बीइएफआइ, एआइबीओए, आइएनबीइएफ, आइएनबीओसी आदि यूनियनों के अधिकारी व कर्मी शामिल हुए. यूएफबीयू के बोकारो संयोजक एसएन दास ने कहा कि आम जनता की गाढ़ी कमाई जो बैंकों में जमा पूंजी के रूप में रखी हुई है, उसे काॅरपोरेट घरानों के बीच ऋण के रूप में लूटा दिया गया. आज विकराल रूप धारण कर चुका एनपीए के बोझ से उबरने के लिए आम जनता को ही बलि का बकरा बनाया जा रहा है.

बैंकों में विभिन्न प्रकार के शुल्कों में वृद्धि कर उसकी वूसली की जा रही है. हम सरकार के मंसूबों को विफल करने के लिए प्रयासरत व संघर्षरत रहेंगे. पिछले 25 वर्षों से लगातार मांग करते रहे हैं कि जान बूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों पर आपराधिक कानून की धाराओं को लगाने का प्रावधान किया जाये. अन्य वक्ताओं ने कहा कि भारत सरकार द्वारा बैंकों में जमा आम जनता की जमा पूंजी व बैंक कर्मियों की मेहनत को नजरअंदाज किया जा रहा है. प्रदर्शन में मुख्य रूप से एसएन दास, कृष्ण मुरारी, धनंजय कुमार, राघव कुमार सिंह, पीके श्रीवास्तव, बिनोद कुमार, बीके ठाकुर, राजेश ओझा, विभाष झा, अजित कुमार सिन्हा, एसपी सिंह, किशुन करकेट्टा, प्रदीप कुमार, ओपी वर्णवाल, अवधेश प्रसाद, राजेश श्रीवास्तव, सुदीप कुमार पांडेय, प्रदीप बेगी, बीके भट्टाचार्या, प्रदीप झा, अजित कुमार सिंह, मानिक दास, अजय जरिका, प्रभा सिंह आदि शामिल थे.

बैंक कर्मियों की मांगें
धरना-प्रदर्शन व बैठकों में बैंक अधिकारियों ने जनविरोधी बैंकिंग सुधारों व बैंकों के मर्जर का विरोध किया. खराब ऋणों की वसूली के लिए संसदीय समिति की अनुसंशाओं को लागू करने, वसूली के लिए कठोर कदम उठाने, जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वालों पर आपराधिक कानून की धारा लागू करने, ग्राहकों को बेहतर सेवा देने के लिए सभी संवर्गों में समुचित बहाली करने, बैंक्स बोर्ड ब्यूरो को समाप्त करने, बैंक कर्मचारी-अधिकारी के मुद्दों का अविलंब निराकरण करने आदि की मांग की.

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