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चंदनकियारी: पेगारबांध में हुई थी किशुन रजवार की हत्या, गैर इरादतन हत्या में 19 दोषी

बोकारो: स्थानीय अपर जिला व सत्र न्यायाधीश चतुर्थ बबीता प्रसाद की अदालत ने गैर इरादतन हत्या के एक मामले में फैसला सुनाते हुए सोमवार को एक गांव के 19 लोगों को दोषी करार दिया है. दोष सिद्ध हुए मुजरिमों में चंदनकियारी थाना क्षेत्र के ग्राम पगारबांध निवासी गणेश रजवार, सिलीप रजवार, दिलीप रजवार, भीम रजवार, […]

बोकारो: स्थानीय अपर जिला व सत्र न्यायाधीश चतुर्थ बबीता प्रसाद की अदालत ने गैर इरादतन हत्या के एक मामले में फैसला सुनाते हुए सोमवार को एक गांव के 19 लोगों को दोषी करार दिया है. दोष सिद्ध हुए मुजरिमों में चंदनकियारी थाना क्षेत्र के ग्राम पगारबांध निवासी गणेश रजवार, सिलीप रजवार, दिलीप रजवार, भीम रजवार, प्राण रजवार, वीरेन रजवार, पटल रजवार, रथु रजवार, नित्यानंद रजवार, अतुल रजवार, जगदीश रजवार, सिद्याम रजवार, सुशील रजवार, बीरू रजवार, शांति रजवार, सुनील रजवार, सुभाष रजवार, विजय कुमार व शंकर धीवर शामिल हैं. सजा की बिंदु पर फैसला सुनाने की तिथि 28 जुलाई निर्धारित की गयी है.

न्यायालय में यह मामला सेशन ट्रायल संख्या 318/08, 319/08, 96/09 व चंदनकियारी थाना कांड संख्या 34/08 के तहत चल रहा था. सरकार की तरफ से इस मामले में अपर लोक अभियोजक राकेश कुमार राय ने अदालत में पक्ष रखा. चंदनकियारी थाना क्षेत्र के पगारबांध गांव स्थित बैजू बांध तालाब के पास मछली मारने के विवाद को लेकर मारपीट कर किशुन रजवार की हत्या कर दी गयी थी. घटना 15 मार्च 2008 की है. घटना की प्राथमिकी मृतक के बड़े भाई अनिल रजवार के बयान पर दर्ज हुई थी.

कैसे हुई थी घटना
पेगारबांध गांव में बैजू बांध नामक तालाब है. उक्त तालाब में घटना से लगभग 15-20 वर्ष पूर्व से अनिल रजवार के परिवार के सदस्य मछली का जीरा डालते थे और मछली मारकर अपनी जीविका चलाते थे. उक्त तालाब अनील रजवार की पुस्तैनी तालाब है. वर्ष 2008 में दूसरे पक्ष ने भी तालाब में मछली का जीरा डाला. कुछ माह बाद दूसरे पक्ष के लोग तालाब में मछली मारने आ गये. अनिल रजवार व उनके भाइ किशुन रजवार ने दूसरे पक्ष को मछली मारने से रोकने का प्रयास किया. इसी विवाद में सभी ने लाठी-डंडा, भाला व धारदार हथियार से दोनों भाइ पर जानलेवा हमला कर दिया. घटना में अनिल रजवार व किशुन रजवार गंभीर रूप से जख्मी हो गये थे. किशुन रजवार को इलाज के लिए बोकारो जेनरल अस्पताल भेजा गया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गयी. इलाज के बाद अनिल रजवार की जान बची थी.

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