कहा : राष्ट्रीय इस्पात नीति का कच्चे माल की उपलब्धता, आयात प्रतिस्थापन, इस्पात खपत को बढ़ाने, वैल्यू एडेड स्टील में शोध व अनुसंधान पर जोर, ऊर्जा दक्षता व सतत विकास को बढ़ाने, भारत की किफायती व गुणवत्ता परक इस्पात उत्पादक के रूप में पहचान कायम करने, इस्पात उद्योग का कार्बन फुट प्रिंट कम करने पर मुख्य रूप से जोर होगा.
श्री सिंह ने घरेलू निर्मित लौह व इस्पात को प्राथमिकता देने की इस्पात नीति के बारे में बताया. कहा : इससे घरेलू इस्पात की खपत में बढ़ोतरी होगी. भारतीय इस्पात उद्योग को काफी मदद मिलेगी. बैठक में भारत सरकार की इस्पात सचिव के साथ ही मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.