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कफन के लिए भी चुकाना पड़ेगा टैक्स !

चास: गुरुवार को चास के धर्मशाला मोड़ से दर्जनों कपड़ा व्यवसायियों ने वस्त्र विक्रेता संघ के बैनर तले कपड़े पर जीएसटी लगाने का विरोध करते हुये बाइक रैली निकाली. कपड़े पर जीएसटी हटाने की मांग को लेकर व्यवसायियों ने धर्मशाला मोड़ से बाइक रैली निकाली, जो जोधाडीह मोड़ होते हुये पुराना बाजार से चेकपोस्ट स्थित […]

चास: गुरुवार को चास के धर्मशाला मोड़ से दर्जनों कपड़ा व्यवसायियों ने वस्त्र विक्रेता संघ के बैनर तले कपड़े पर जीएसटी लगाने का विरोध करते हुये बाइक रैली निकाली. कपड़े पर जीएसटी हटाने की मांग को लेकर व्यवसायियों ने धर्मशाला मोड़ से बाइक रैली निकाली, जो जोधाडीह मोड़ होते हुये पुराना बाजार से चेकपोस्ट स्थित गरगा पुल पहुंचे, यहां से वापस धर्मशाला मोड़ होते हुये चास का भ्रमण किया.

व्यवसायियों ने कई कपड़ा दुकानों को बंद करवाया और उनसे समर्थन करने की अपील की. इस दौरान व्यवसायियों ने काला बिल्ला भी लगाया था. विरोध प्रदर्शन करने वालों में मुख्य रूप से व्यवसायी बैजनाथ केडिया, मनीष रामपुरिया, अशोक बांटिया, शिबू जायसवाल, विक्रम जायसवाल, प्रकाश केजरीवाल, राम काबरा, पवन अग्रवाल, अनीश बुधिया, राजकिशोर प्रसाद, रवि राजारिया आदि शामिल हैं.

कई व्यापारियों ने खुली रखीं दुकानें
व्यवसायियों ने बाइक रैली के दौरान कई दुकानों को बंद कराया, जिसमें चेकपोस्ट स्थित सिटी मॉल भी शामिल है, लेकिन रैली के आगे बढ़ते ही कई दुकानें खुल गयी. इसके अलावा चास के अन्य बाजार जैसे बाइपास, पुराना बाजार, जोधाडीह मोड़ और महावीर चौक में कई व्यापारियों ने अपनी-अपनी दुकानें खुली रखी. आह्वान के बाद भी दुकानें बंद न करना ये दर्शा रहा है कि सभी व्यापारी इसके विरोध में नहीं है. ऐसे में ये विरोध कितने दिन चलता है कहा नहीं जा सकता. हालांकि एक जुलाई से देशभर में जीएसटी लागू होना तो तय है.
क्या कहते हैं व्यवसायी
देश के इतिहास में आज तक कपड़ा सभी प्रकार के कर से मुक्त रहा है. ऐसे में कपड़े पर जीएसटी सरकार द्वारा लगाना गलत है. हम कपड़ा व्यवसायी इसका विरोध करते हैं. सरकार प्रत्येक चीज पर टैक्स लगा रही है. इसका कोई दायरा नहीं है. खुलकर विरोध करेंगे.
शिवशंकर कुमार, जगदंबा टैक्सटाइल्स
सरकार ने कफन पर भी टैक्स लगा दिया, यह कहां तक उचित है. ऐसे में गरीब, गुरबा लोग अधिक मूल्य पर कफन की खरीदारी करेंगे. इसके अलावा लोग अपने मन से लावारिश शवों को कफन देते है, जो कि अब ऐसे लाशों को कफन भी नसीब नहीं होगा.
निरंजन कुमार, निरंजन ड्रेसेस, मेनरोड
छोटे व्यवसायियों पर रिवर्स चार्ज लगाया गया है, जिससे दोहरे करारोपण को बढ़ावा मिलेगा. छोटे-मोटे कपड़ा दुकानदार या फुटपॉथ दुकानदार इससे परेशान रहेंगे. इससे हजारों मजदूरों का रोजगार भी जुड़ा हुआ है. हजारों लोगों का जीवनयापन बाधित होगा.
अशोक बांकिया, अशोक ट्रेडिंग, बाइपास रोड
जीएसटी को लेकर कपड़ा व्यवसायियों को मिलकर विरोध करना होगा. जब तक पूर्ण रूप से विरोध नहीं करेंगे, तब तक व्यवसायियों की मांगों को सरकार नहीं मानेगी. कई व्यापारियों ने दुकानें खुली रखी, ऐसे में कुछ व्यवसायियों द्वारा विरोध करना व्यर्थ होगा.
विक्रम जायसवाल, दानेश्वरी होजियरी, जोधाडीह मोड़
आजादी से लेकर अब तक रोटी, कपड़ा व मकान को कर मुक्त रखा गया, क्योंकि ये व्यक्ति के मूलभुत सुविधाओं में से एक है. लेकिन कर की अव्यवस्थित प्रणाली लागू कर सरकार छोटे-छोटे व्यवसायी की आर्थिक स्वतंत्रता पर प्रहार कर रही है. इससे व्यापारी घुट रहे है.
प्रवीण पांडेय, मैनेजर सिटी स्टाइल
ये तो हमारा हक छीनने के जैसा है. सरकार व्यापारियों का विरोधी क्यों है. कपड़ों के व्यवसाय में पांच से 20 हजार रुपये के पूंजी वाले भी आते हैं. जो कि गरीब-गुरबा जैसे लोगों को कपड़ा मुहैया कराते हैं. ऐसे में अगर वह टैक्स देगा तो कपड़े की कीमत बढ़ेगी.
राजकुमार अग्रवाल, दिल्ली फैंसी क्लोथ स्टोर, मेनरोड
सरकार जनहित में काम नहीं कर रही है. जो सरकार कफन पर भी टैक्स लगायेगी, वह सरकार ज्यादा दिनों तक नही चलेगी. व्यापारियों के सपोर्ट के बिना भाजपा की सरकार चल पाना मुश्किल है. इस मामले में संशोधन की आवश्यकता है, जिसपर सरकार विचार करे.
बंटी जायसवाल, हनुमान हैंडलूम, मेनरोड
कपड़े को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने के लिए सरकार से मांग की है. देश में करोड़ों लोग इस करोबार से जुड़े हैं. पहले से ही हालत खराब है. जीएसटी में टैक्स लगने से कारोबारियों की मुसीबतें और बढ़ जाएंगीं. जल्द ठोस कदम नहीं उठाया तो आंदोलन तेज होगा.
विनोद कुमार अग्रवाल, खांटू टैक्सटाइल्स, मेनरोड

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