तोपचांची प्रखंड की दुमदुमी पंचायत अंतर्गत चलकरी गांव में इलाज के अभाव में आदिम जनजाति बिरहोर परिवार के एक सदस्य की मौत शनिवार की देर रात हो गयी. मृतक गणेश बिरहोर (60) की तबीयत कई सप्ताह से खराब थी. बताया जाता है कि अर्थाभाव में बेहतर इलाज नहीं करा पा रहा था. बीमारी हालत में भी गणेश रस्सी बुनकर जीविकोपार्जन करता था.
बिल्डिंग आर कमरा तो हो डॉक्टर कोय
प्रभात खबर से बिरहोर महिलाओं ने कहा कि बीस दिनों के अंतराल में दो बिरहोर की मौत हो गयी. बिरहोरों के नाम पर बिल्डिंग आर जबर कमरा तो सरकार बनाय देल हो. डॉक्टर और दवा कोय. एक फार्मासिस्ट ओहे काला और पीला दवा थमाय के कते रजिस्टर में लिखतो, कोई ठिकान नाय हो. डाक्टर और दवाइयां उपलब्ध नहीं रहने से कोई भी बीमारी जटिल हो जाती है.
दफनवे के जगह देय दे सरकार
बिरहोर परिवार के मुखिया बड़ा सुकर बिरहोर ने कहा कि बिरहोर परिवार के लोग जंगलों में निवास करते थे. कंद मूल खा कर भरण-पोषण करते हैं. सरकार ने जमीन मुहैया करा कर आधुनिकता की ओर मोड़ने का प्रयास किया. सरकारी चावल के सिवा कोई लाभ नहीं मिलता है. शव को दफनाने के लिए जमीन भी नहीं है. जंगल में शव दफनाने पर सिपाही मना करते हैं. बिरहोर परिवार के लोगों ने कहा कि जिस स्थान पर बिरहोर परिवार के लोग शव दफनाते हैं वहां एक शेड बन जाए तो धूप, पानी से बचा जा सकेगा.
'पैसे के अभाव में पति का इलाज नहीं हो पाया'
मृतक की पत्नी चांदमुनि बिरहोरिन ने कहा कि पति गणेश बिरहोर को इलाज के लिए एसएनएमएमसीएच लेकर गये थे. वहां दवा व अन्य सामान खरीदने के लिए पैसे नहीं थे. इसके कारण पति को घर ले आये. बेटा सुरेश दूसरे प्रदेश में काम करता है. पैसे के अभाव में पति का इलाज नहीं करवा पायी.
जांच कर होगी कार्रवाई
तोपचांची के बीडीओ राजेश एक्का ने कहा कि अगर इलाज के अभाव में बिरहोर की मौत हुई है तो जांच में दोषी पाये जाने वाले पर विभागीय कार्रवाई की जायेगी.