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नहीं आये शहीदों के पार्थिव शरीर, गांवों में पसरा रहा सन्नाटा लाल का चेहरा देखने के लिए टकटकी लगाये रहे परिजन

जम्मू-कश्मीर के बटालिक सेक्टर में हिमस्खलन में सैन्य चौकी दब गयी थी, जिसमें झारखंड के तीन जवान शहीद हो गये. प्रशासन की ओर से कहा गया था कि शहीदों का पार्थिव शरीर शनिवार को रांची पहुंच जायेगा, लेकिन पार्थिव शरीर शनिवार की देर रात तक नहीं आ सका. इधर, पूरे दिन शहीदों के परिजन अपने […]

जम्मू-कश्मीर के बटालिक सेक्टर में हिमस्खलन में सैन्य चौकी दब गयी थी, जिसमें झारखंड के तीन जवान शहीद हो गये. प्रशासन की ओर से कहा गया था कि शहीदों का पार्थिव शरीर शनिवार को रांची पहुंच जायेगा, लेकिन पार्थिव शरीर शनिवार की देर रात तक नहीं आ सका. इधर, पूरे दिन शहीदों के परिजन अपने लाल का चेहरा देखने के लिए टकटकी लगाये हुए थे. मांडर व इटकी में सरकार की ओर से घोषित सहायता राशि शहीदों के परिजनों को प्रदान की गयी.
रांची/मांडर: सेना के शहीद जवान कुलदीप लकड़ा के गांव बिसाहाखटंगा जोल्हाटोली में शनिवार को भी मातमी सन्नाटा पसरा रहा. शहीद के परिवार के अलावा आसपास के कई घरों में चूल्हे नहीं जले. शहीद के परिजन सुबह से ही गांव के मुख्य रास्ते पर टकटकी लगाये बैठे थे. अपने बेटे के पार्थिव शरीर के घर लाये जाने का इंतजार कर रहे थे. दिन में करीब 10 बजे उन्हें जम्मू-कश्मीर में ही तैनात उनके एक रिश्तेदार ने बताया कि मौसम खराब होने के कारण शहीद हुए सैनिकों का पार्थिव शरीर लाने में देरी हो रही है. संभवत: रविवार को उनका पार्थिव शरीर रांची लाया जायेगा.

इधर, मांडर बीडीओ विष्णुदेव कच्छप, अंचल निरीक्षक रमेश रविदास व अन्य अधिकारी भी शहीद के घर पहुंचे. अंचल निरीक्षक ने सरकारी सहायता के लिए कुलदीप लकड़ा के पिता की बैंक खाता संख्या भी ली. इस दौरान कुलदीप की बड़ी बहन सेलिन लकड़ा ने मुख्यमंत्री द्वारा शहीदों के परिजन को सरकार की ओर से दी जा रही आर्थिक सहायता पर अंसतोष जाहिर किया. उन्होंने कहा कि उसका भाई देश की सेवा करते हुए शहीद हुआ है, फिर भी मात्र दो लाख रुपये दिये जा रहे हैं, जबकि सरकार किसी धार्मिक कार्यक्रम में भगदड़ की घटना में हुई मौत पर मृतक के परिजनों को पांच लाख रुपये की सरकारी सहायता प्रदान करती है. इधर, देर शाम मांडर विधायक गंगोत्री कुजूर भी शहीद के घर पहुंचीं व पिता जेवियर लकड़ा को सरकार की ओर से दो लाख की सहायता राशि का चेक प्रदान किया.
अंतिम संस्कार के लिए नकद मांगा : शहीद के परिजनों ने चेक की जगह पर नकद की मांग की. उन्होंने कहा कि हमें अभी अंतिम संस्कार व अन्य कार्य के लिए नकद पैसे की जरूरत है. परिजनों ने मुख्यमंत्री के नाम एक मांग पत्र विधायक गंगोत्री कुजूर को सौंपा, जिसमें मुआवजे की राशि 20 लाख करने, शहीद की आश्रित बहनों को योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी देने, पिता के बैंक का कर्ज माफ करने की मांग शामिल है.
शहीद बिहारी के परिजनों से मिले हेमंत
पाकुड़/हिरणपुर. पाकुड़ जिला के हिरणपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत रामनाथपुर गांव के रहनेवाले शहीद लांस नायक बिहारी मरांडी के परिजन से मिलने शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहुंचे. श्री सोरेन ने शहीद के परिजनों को सांत्वना दी. साथ ही कहा कि इस दु:ख की घड़ी में वे उनके साथ हैं. मौके पर सांसद विजय हांसदा भी मौजूद थे. इधर, शहीद लांस नायक बिहारी मरांडी के पार्थिव शरीर के आने का इंतजार परिजन, रिश्तेदार व गांव के लोग शनिवार को पूरे दिन करते रहे. परिजनों को शहीद के पार्थिव शरीर के पहुंचने की कोई सूचना नहीं मिली थी. उनका रो-रो कर बुरा हाल था, ग्रामीण उन्हें सांत्वना देने मेें लगे थे.
विधायक ने शहीद जवान प्रभुसहाय की पत्नी को चेक सौंपा
इटकी. जम्मू-कश्मीर में हिमस्खलन में सेना के शहीद जवान सेमरा गांव निवासी प्रभुसहाय तिर्की का शव शनिवार को गांव नहीं पहुंचा. इधर, विधायक गंगोत्री कुजूर ने शहीद की पत्नी सुचिता तिर्की को दो लाख रुपये का चेक सौंपा. मौके पर विधायक ने शहीद के दोनों पुत्र अक्षय अंकित व अनीश अंकित की पढ़ाई की जिम्मेवारी ली. इटकी से सेमरा भाया सेमरा पतरा पथ का निर्माण कर उसका नाम शहीद प्रभु सहाय पथ किये जाने की घोषणा भी की. इधर, विधायक कुजूर के शहीद के घर पहुंचने पर परिजनों ने विधायक व राज्य सरकार के प्रति रोष प्रकट किया. परिजनों का कहना था कि घटना के 24 घंटे बाद विधायक पहुंची हैं. वहीं, राज्य सरकार ने शहीदों के परिजन को मुआवजा के रूप में मात्र दो लाख की राशि प्रदान कर उनका अपमान किया है. इधर, शहीद का शव शनिवार को गांव पहुंचने की सूचना पर सुबह से ही ग्रामीणों की भीड़ शहीद के घर के आसपास लगी थी. बाद में शव के नहीं आने की सूचना पर देर शाम अधिकांश लोग घर लौट गये.
शहीदों का पार्थिव शरीर कब आयेगा, सूचना नहीं : जम्मू-कश्मीर में हुई बर्फबारी में शहीद हुए झारखंड के तीन जवानों का पार्थिव शरीर कब आयेगा, इस बारे में देर रात तक कोई सूचना नहीं मिल पायी. रांची के डीसी मनोज कुमार ने बताया कि इस बारे में कोई सूचना नहीं मिली है.
सेना के अधिकारी पहुंचे शहीदों के घर : सेना के अधिकारी शनिवार को शहीदों के घर पहुंचे. सेना के अधिकारियों ने परिजनों को ढाढ़स बंधाया और हर तरह की मदद का आश्वासन दिया. सेना के अलग-अलग अधिकारी तीनों शहीदों के गांव पहुंचे थे. वह भी यह बताने में असमर्थ थे कि पार्थिव शरीर को कब तक लाया जायेगा. उनके मुताबिक मौसम खराब होने के कारण देर हो रही है.

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