रांची: मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा गलती पकड़े जाने के बाद भवन निर्माण विभाग ने 40 करोड़ रुपये का दो टेंडर रद्द कर दिया. विभाग ने आवश्यक प्रक्रिया पूरा किये बिना ही डालटेनगंज, गिरिडीह और दुमका में समाहरणालय बनाने का टेंडर प्रकाशित कर दिया था.
क्या है मामला: भवन निर्माण विभाग ने अगस्त और सितंबर 2013 के बीच डालटेनगंज, गिरिडीह और दुमका में नये समाहरणालय भवन के निर्माण के लिए टेंडर प्रकाशित किया था. इन तीनों भवनों की अनुमानित लागत करीब 60 करोड़ रुपये थी, जबकि विभाग के पास योजना मद में इसके लिए सिर्फ चार करोड़ रुपये ही थे. भवन निर्माण विभाग ने 20 अगस्त 2013 को गिरिडीह में समाहरणालय भवन बनाने के लिए टेंडर प्रकाशित किया था. टेंडर प्राप्त करने की अंतिम तिथि 10 सिंतबर 2013 निर्धारित की गयी थी. विभाग ने सात सितंबर 2013 को दुमका में समाहरणालय भवन के लिए टेंडर प्रकाशित किया था. टेंडर स्वीकार करने की अंतिम तिथि 30.9.13 निर्धारित थी. विभाग ने तीसरा टेंडर 30 सितंबर 2013 को डालटेनगंज समाहरणालय भवन बनाने के लिए निकाला था. इसके लिए टेंडर स्वीकार करने की अंतिम तिथि 21 अक्तूबर 2013 निर्धारित की गयी थी.
नियमों का पालन नहीं किया गया
नियमानुसार किसी काम के लिए टेंडर प्रकाशित करने के पूर्व उस मद में किये गये बजट प्रावधान को देखा जाता है. इसके बाद प्रस्तावित निर्माण कार्य पर प्राधिकृत समिति की स्वीकृति ली जाती है. निर्माण कार्यो की लागत 20 करोड़ या उससे अधिक होने की स्थिति में उस पर कैबिनेट की स्वीकृति भी आवश्यक होती है. भवन निर्माण विभाग ने इस प्रक्रिया को पूरा किये बिना ही सबसे पहले टेंडर प्रकाशित किया इसके बाद प्राधिकृत समिति के पास भेजा.
प्राधिकृत समिति द्वारा विचार-विमर्श के बाद यह पाया गया कि एक-एक समाहरणालय भवन की लागत 21 करोड़ रुपये से अधिक है. इसके बाद इस मामले को मुख्यमंत्री के पास भेजा गया. मुख्यमंत्री ने विचार-विमर्श के बाद सिर्फ एक समाहरणालय(दुमका) के निर्माण पर अपनी सहमति दी. साथ ही यह सवाल भी उठाया कि इन निर्माण कार्यो के लिए पैसे कहां से आयेंगे. इसके बाद भवन निर्माण विभाग ने गिरिडीह और डालटेनगंज समाहरणालय निर्माण की निविदा रद्द कर दी.