इसके अलावा दूसरा तर्क यह था कि पूर्व में बंडू थाना की पुलिस ने चुटिया निवासी एक युवती के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में युवकों को जेल भेजा था. बाद में युवती जीवित लौट आयी थी. तब उसने पुलिस अधिकारियों को बताया कि उसके साथ कुछ नहीं हुआ था. तब पुलिस को अपनी गलती का एहसास हुआ. इसके बाद आगे के अनुसंधान में गिरफ्तार कर जेल भेजे युवकों को निर्दोष घोषित किया गया और वे जेल से बाहर निकले. अनुसंधान में पुलिस के स्तर से दोबारा इस तरह की गलती न हो, इसलिए छात्रा के शव से लिये गये डीएनए का मिलान उसके पिता के डीएनए से कराने का निर्णय लिया गया था.
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बीटेक छात्रा का डीएनए पिता से मैच
रांची. बूटी बस्ती में बीटेक की छात्रा से दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में छात्रा का डीएन प्रोफाइल उसके पिता के डीएनए प्रोफाइल से मैच हो गया है. इस बात की जानकारी एफएसएल के अधिकारियों ने पुलिस अधिकारियों को दी है. इसकी पुष्टि एक पुलिस अधिकारी ने की है. हालांकि अभी इस मामले में एफएसएल […]
रांची. बूटी बस्ती में बीटेक की छात्रा से दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में छात्रा का डीएन प्रोफाइल उसके पिता के डीएनए प्रोफाइल से मैच हो गया है. इस बात की जानकारी एफएसएल के अधिकारियों ने पुलिस अधिकारियों को दी है. इसकी पुष्टि एक पुलिस अधिकारी ने की है. हालांकि अभी इस मामले में एफएसएल की ओर पुलिस को लिखित रिपोर्ट नहीं सौंपी गयी है. एफएसएल से जानकारी मिलने के बाद पुलिस अधिकारियों ने कुछ अन्य संदिग्ध की संलिप्तता पर जांच शुरू की है.
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पूर्व पुलिस अधिकारियों ने छात्रा के शव से बरामद डीएनए प्रोफाइल का मिलान उसके पिता के डीएनए से कराने का निर्णय लिया था. पुलिस ने कोर्ट की अनुमति से छात्रा के पिता का ब्लड सैंपल लेकर एफएसएल के पास भेजा था. डीएनए प्रोफाइल जांच कराने के पीछे पुलिस अधिकारियों का दो तर्क था. पहल तर्क यह था कि जब किसी का शव जला हो और उसका चेहरा स्पष्ट नहीं है. तब अनुसंधान के दृष्टिकोण से बरामद शव के डीएनएन प्रोफाइल की जांच उसके माता-पिता के डीएनए से करायी जाये.
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