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हर साल बढ़ रहा छह हजार मुकदमों का बोझ

रांची: झारखंड हाइकोर्ट में प्रत्येक वर्ष लंबित मामलों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. प्रत्येक वर्ष लंबित मामलों की संख्या में औसतन छह हजार की वृद्धि हो रही है. पिछले 10 साल में लंबित मामलों की संख्या 16,999 से बढ़ कर 80,442 पहुंच गयी है. हाइकोर्ट से प्राप्त आंकड़ों पर यदि गौर किया जाये, […]

रांची: झारखंड हाइकोर्ट में प्रत्येक वर्ष लंबित मामलों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. प्रत्येक वर्ष लंबित मामलों की संख्या में औसतन छह हजार की वृद्धि हो रही है. पिछले 10 साल में लंबित मामलों की संख्या 16,999 से बढ़ कर 80,442 पहुंच गयी है.

हाइकोर्ट से प्राप्त आंकड़ों पर यदि गौर किया जाये, तो एक जनवरी 2016 तक कुल 80, 442 मामले लंबित थे. इसमें सिविल के 42,459 मामले शामिल हैं, जबकि 38, 383 मामले आपराधिक प्रकृति के हैं. हाइकोर्ट में लंबित इन मामलों में से लगभग 9133 से अधिक मामले 10 वर्षों से अधिक समय से लंबित हैं. फिलहाल हाइकोर्ट में कार्यरत जजों पर औसतन लगभग छह हजार मामलों का बोझ है. फिलहाल हाइकोर्ट में जजों के 25 पद सृजित हैं. इनमें से सिर्फ 13 जज ही कार्यरत हैं. 12 पद अब भी रिक्त पड़े हुए हैं.

बिहार से अलग होने के बाद झारखंड राज्य के गठन के समय हाइकोर्ट में न्यायाधीशों के 12 पद स्वीकृत थे, जो बढ़ कर 25 तक पहुंच गये हैं. वर्ष 2015 में हाइकोर्ट की ओर से नया कीर्तिमान स्थापित किया गया था. पहली बार नये दर्ज मामलों से अधिक मुकदमों का निष्पादन हुआ था. जनवरी से दिसंबर 2015 तक कुल 30,918 नये मामले दायर हुए थे, जबकि इस अवधि में 31,314 मामलों का निष्पादन हुआ था. वहीं, दूसरी तरफ निचली अदालतों में भी हर वर्ष लंबित मामलों का बोझ बढ़ रहा है. वर्ष 2009 में निचली अदालतों में लंबित मामलों की संख्या 2.70 लाख थी, जो बढ़ कर लगभग तीन लाख तक पहुंच गयी है.

प्रत्येक वर्ष बढ़ती लंबित मामलों की संख्या
वर्ष लंबित मामले
2000 560
2001 1,415
2002 2,844
2003 5,602
2004 8,875
2005 12,203
2006 16,999
2007 21,254
2008 27,198
2009 34,080
2010 41,711
2011 51,430
2012 57,242
2013 64,502
2016 80,442

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