समाज और परिवार तेजी से टूट रहा है. एक दिन पहले रांची में 12 साल की एक बच्ची को मुख्य न्यायाधीश की शरण में जाना पड़ा था, क्योंकि उसके माता-पिता में तलाक हो चुका है और मम्मी के फेसबुक फ्रेंड की नजर उस पर थी. न मां ने जिम्मेवारी निभायी और न पिता ने. डकरा में भी यही हुआ. पत्नी की मौत के बाद सीसीएल कर्मचारी ने अपनी साली से शादी कर ली और भाग गया. उसके बच्चे भूख से तड़प रहे हैं. अगर मां-बाप अपनी जिम्मेवारी नहीं निभायेंगे, भटक जायेंगे तो बच्चों का भविष्य क्या होगा?
डकरा: छह साल के नितेश की छाती की एक-एक हड्डी गिनी जा सकती है. उसका यह हाल भूख के कारण हुआ है. लगभग यही हाल है, उसकी दो बड़ी बहनों अनिता (आठ) और पुष्पा (सात) व एक भाई अजरुन का. इन चारों बच्चों को लगभग डेढ़ माह से भर पेट खाना नहीं मिला है. इस हाल के लिए कोई और नहीं, इन बच्चों के पिता जिम्मेवार हैं. पिता का नाम है जीतन माझी.
वह सीसीएल कर्मचारी है और केडीएच में ही केबल मैन के पद पर काम करता है. लेकिन बच्चों को बेसहारा छोड़ कर तीन दिसंबर से ही गायब है. बच्चों की यह हालत नहीं होती, अगर उसकी मां जिंदा होती. लेकिन बच्चों का दुर्भाग्य है कि उसकी मां का निधन हो गया. पिता गैर-जिम्मेवार निकला और अपनी साली से शादी कर घर से भाग गया. यह भी नहीं देखा-सोचा कि बच्चों का क्या हाल होगा. क्या खायेंगे, कैसे रहेंगे. चार भाई-बहनों में सबसे बड़ा है अजरुन कुमार. उम्र है सिर्फ 10 साल. पिता के भागने पर घर में जो अनाज बचा था, उसे बना कर वह भाई-बहनों को पालता रहा. अनिता (आठ) और पुष्पा (सात) इतनी छोटी है कि घर का जिम्मा नहीं उठा सकती.
छोटा भाई नितेश तो सिर्फ छह साल का है. जब घर में अनाज खत्म हो गया, तो अजरुन और अनिता भीख मांग कर अनाज जमा करना शुरू किया. लेकिन भीख में भी इतना अनाज नहीं मिलता, जिससे चारों का पेट भरे. किसी तरह यह बात सामने आयी कि ये बच्चे भूखे हैं. सबसे छोटा नितेश भूख से कुछ बोल भी नहीं पा रहा. वे न तो नहाते हैं, न कपड़ा बदल पाते हैं. वहां रेंबो क्लब के सदस्यों व पंचायत प्रतिनिधियों ने बच्चों के लिए ब्रेड की व्यवस्था की. ये बच्चे सीसीएल के क्वार्टर में रहते हैं, लेकिन रामगढ़ जिला के मांडू के गरगाली के रहनेवाले हैं. जब से इन बच्चों के पिता फरार हुए हैं, एक बार भी बच्चों से संपर्क नहीं किया है. अपने रिश्तेदारों के बारे में ये बच्चे कुछ बता नहीं पा रहे हैं.