रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड के राजनीतिक दल बोलते कुछ और करते कुछ हैं. झामुमो ने दिवगंत नेता सुधीर महतो की पत्नी सविता महतो को उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव दिया था. पार्टी यहां के स्थानीय व कद्दावर नेताओं के प्रति संवेदनशील है.
उनके परिवार को हमेशा साथ लेकर चली है. स्थानीयता का मुद्दा पार्टी का आधार रहा है. झारखंड का स्थानीय दल कहनेवाले लोग निर्दलीय का समर्थन कर रहे हैं. जब हमारे प्रत्याशी का अंकगणित बिगड़ा, तो गंठबंधन दल की ओर से नामांकन दायर किया गया. ऐसी व्यवस्था अपनायी गयी कि चुनाव की नौबत ही नहीं आयी.
झामुमो सविता के लिए समर्थन मांगता, तो बेहिचक दे देता
झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि झामुमो और भाजपा ने राज्यसभा चुनाव में मैच फिक्सिंग कर ली थी. दोनों ही दलों ने बाहरी प्रत्याशी को जिताने की योजना बनायी थी. दोनों ही दलों के पास 18-18 विधायक थे. ये दल चाहते, तो किसी झारखंडी को राज्यसभा भेज सकते थे. झामुमो ने सविता महतो का नाम आगे किया था. कांग्रेस सविता महतो के समर्थन को तैयार नहीं थी, तो झामुमो हमसे समर्थन मांगता. झामुमो सचमुच सविता महतो को भेजने के लिए तैयार था, तो हमसे आग्रह कर सकता था. मैं झारखंड के हित के लिए अपने फैसले पर पुनर्विचार करता. शेष
श्री मरांडी ने कहा कि हमने शिबू सोरेन को राज्यसभा भेजने का काम किया था, तब हम भाजपा में थे. दिल्ली से पूछने की भी जरूरत नहीं समझी थी. उस समय भी कांग्रेस ने शिबू सोरेन को धोखा दिया था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के आला नेताओं ने प्रेमचंद गुप्ता के लिए झारखंड के मान-सम्मान के साथ खिलवाड़ किया. सत्ता पक्ष चाहता तो वह दो उम्मीदवारों को राज्यसभा में भेज सकता था, लेकिन भाजपा के साथ मैच फिक्सिंग थी. भाजपा ने परिमल नथवाणी के लिए झामुमो के साथ यह खेल किया. कांग्रेस, भाजपा, आजसू जैसी पार्टियों ने सौदेबाजी की है.