!!दीपक!!
रांची:रेलवे मंत्रालय के उपक्रम डेडीकेटेड फ्रेट कोरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआइएल) की ओर से झारखंड को अगले चार वर्षो में 144 करोड़ रुपये मिलेंगे. यह राशि राज्य में बननेवाले नौ रेलवे ओवर ब्रिज और रेलवे अंडर ब्रिज के लंबित निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए दिया जायेगा. राज्य सरकार को भी अपने हिस्से का 50 फीसदी परियोजना के लिए देना होगा.
डीएफसीसीआइएल के प्रबंध निदेशक आरके गुप्ता ने झारखंड सरकार से आग्रह किया है कि रेलवे की डेडीकेटेड फ्रेट कोरिडोर राष्ट्रीय महत्ववाली परियोजना है. प्रधानमंत्री कार्यालय से इसकी लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है. इस्र्टन डेडीकेटेड फ्रेट कोरिडोर (इडीएफसी) भी इसका एक अंग है, जिसके तहत झारखंड में कोरिडोर की 180 किलोमीटर तक की दूरी शामिल है.
इस्टर्न डेडीकेटेड कोरिडोर के मुगलसराय-लुधियाना और खुर्जा-दादरी सेक्शन पर 1131 किलोमीटर रेलवे लाइन बिछायी जायेगी. इसमें 2.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर कर्ज लिया जा रहा है. परियोजना में न्यूनतम जमीन का अधिग्रहण भी किया जा रहा है. यह रेलवे ट्रैक के बगल का हिस्सा है. इसी क्रम में झारखंड में नौ जगहों पर लेवल क्रासिंग बनाना है, ताकि फ्रेट कोरिडोर के एलाइगमेंट में किसी तरह की परेशानी नहीं हो. डेडीकेटेड फ्रेट में दो अतिरिक्त रेलवे ट्रैक बनाये जायेंगे, जिससे प्रत्येक सात मिनट में एक ट्रेन गुजरेगी. रेलवे मंत्रालय का कहना है कि वर्तमान में अवस्थित रेलवे ट्रैक से लगातार ट्रेनों की आवाजाही संभव नहीं है. केंद्र और राज्य सरकार की ओर से इसके लिए नीतिगत फैसला भी लिया जा चुका है. चयनित लेवल क्रासिंगवाले जगहों पर ही रेलवे ओवर ब्रिज बनाया जाना है.
झारखंड समेत नौ राज्यों में चाहिए 8657 हेक्टेयर जमीन
इस्टर्न फ्रेट के लिए झारखंड समेत नौ राज्यों में 8657 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है. इसमें पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र शामिल हैं. सभी राज्यों को राष्ट्रीय पुनर्वास और पुर्नस्थापन नीति के तहत जमीन अधिग्रहीत करने का निर्देश दिया गया है. राज्यों के मुख्य सचिवों की अध्यक्षता में जमीन अधिग्रहण के लिए राज्य स्तरीय समन्वय समिति भी बनायी गयी है.
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