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63 लाख का मालिक सड़क पर

रांची: मोहन पाहन और बाबू पाहन अब संकट में फंस चुके हैं. दोनों भाई हैं. सोनाराम पाहन के पुत्र हैं. अनगड़ा प्रखंड के हेसल में रहते हैं. उनके साथ बूढ़ी दादी भी रहती हैं. मोहन और बाबू ने जीवन में कभी एक साथ पचास हजार रुपया भी नहीं देखा था. उनके पास खेती की कुछ […]

रांची: मोहन पाहन और बाबू पाहन अब संकट में फंस चुके हैं. दोनों भाई हैं. सोनाराम पाहन के पुत्र हैं. अनगड़ा प्रखंड के हेसल में रहते हैं. उनके साथ बूढ़ी दादी भी रहती हैं. मोहन और बाबू ने जीवन में कभी एक साथ पचास हजार रुपया भी नहीं देखा था. उनके पास खेती की कुछ पुश्तैनी जमीन थी. इसी जमीन से दोनों भाइयों और उनका परिवार चलता था. लगभग 1.40 एकड़ उनकी जमीन रिंग रोड में चली गयी. जमीन के एवज में उन्हें लगभग 63 लाख रुपये मिले. मोहन और बाबू के दोस्तों ने अधिकांश पैसों को ठग लिया. अब दोनों भाइयों के बैंक अकाउंट में मामूली रकम (हजार में) ही बची है. जमीन भी चली गयी. सिर्फ टांड की 50-60 डिसमिल जमीन बची है, जिस पर खेती कर परिवार चलाना मुश्किल है. पाहन बंधुओं के बच्चे और पूरे परिवार का भविष्य दांव पर लगा है.

दरअसल बड़े भाई मनोज पाहन नशा करते हैं.दोस्तों ने उसकी इसी कमजोरी का फायदा उठाया और ठग लिया.जैसे ही लोगों को पता चला कि दोनों भाइयों को मुआवजा के रूप में बड़ी राशि मिली है, नये-नये दोस्त बनने लगे. दोनों भाई समझ नहीं सके. इस गांव में मुआवजे की दर 54 हजार रु प्रति डिसमिल थी. हिसाब करने के बाद 23 नवंबर 2011 को 63 लाख 10 हजार 808 रुपये उनके खाते में जमा कर दिये गये. पेमेंट चेक से हुआ था. पाहन भाइयों को बैंक/चेक के बारे में बहुत जानकारी नहीं थी. दोस्त आते, पांच हजार निकालने के बहाने पांच लाख पर हस्ताक्षर करवाते थे. पाहन बंधु दोस्तों की चाल समझ नहीं सके. खबर तो यह भी है कि कुछ दोस्तों ने पाहन बंधुओं से मोटरसाइकिल औरट्रैक्टर भी खरीदवा लिया.

गांव में इस बात की चर्चा है
जिन दोस्तों ने पाहन बंधुओं को ठगा, वे अब पक्के मकान बनवा रहे हैं जबकि पाहन बंधु ने अपने पुश्तैनी मकान के ठीक बगल मेंकच्‍चामकान बनवाया है. इस संबंध में मनोज से बात करने पर उसने सहमति जतायी. दरअसल पीने-खाने वाले इस नौजवान को गांव के ही तेज-तर्रार लोगों ने भरपूर चूना लगाया है. गांव वालों के ही अनुसार पैन कार्ड सहित अन्य कागजी मामले में उससे मोटी रकम ऐंठी गयी.

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