रांची : झारखंड विधानसभा की कार्यवाही आज प्रारंभ होते ही समूचे विपक्ष और सरकार में शामिल कांग्रेस के अनेक विधायकों ने मानव संसाधन विकास मंत्री के उस आदेश का जमकर विरोध किया और हंगामा किया जिसके तहत उन्होंने राज्य की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) से भोजपुरी और मगही भाषाओं को हटाने का निर्देश दिया है. इस कारण विधानसभा की कार्यवाही पहले आधे घंटे के लिए और फिर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी.
झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन आज जैसे ही सदन की कार्यवाही सुबह साढ़े दस बजे प्रारंभ हुई मुख्य विपक्षी भाजपा, झारखंड विकास मोर्चा (प्र), जदयू और सत्ताधारी गंठबंधन के कांग्रेस के अनेक विधायक अपनी ही सरकार के इस निर्णय के खिलाफ उठ खड़े हुए और उन्होंने राज्य सरकार से यह निर्णय वापस लेने की मांग की.
सदन में सरकार की ओर से मानव संसाधन विकास मंत्री गीताश्री उरांव के इस आदेश को वापस लेने की बात कही गयी लेकिन विपक्ष और कांग्रेस के कृष्णानंद त्रिपाठी, अनंतदेव नारायण सिंह आदि सरकार की बात सुनने को ही तैयार नहीं हुए. उन्होंने मानव संसाधन मंत्री को सदन में बुलाये जाने की मांग की.
मुख्य विपक्षी भाजपा की ओर से पूर्व विधानसभाध्यक्ष सीपी सिंह, रघुवर दास, सत्यानंद झा बाटुल, झाविमो की ओर से विधायक दल के नेता प्रदीप यादव और निर्भय साहाबादी ने इस सरकारी आदेश का जमकर विरोध किया. सदन में शिक्षामंत्री के खिलाफ नारे भी लगे.
बाद में सदन में पहुंचीं मानव संसाधन विकास मंत्री गीताश्री उरांव ने भोजपुरी और मगही भाषाओं को टेट से हटाने के अपने आदेश का स्पष्टीकरण देने का प्रयास किया लेकिन उन्हें सुनने से ही विपक्ष ने इनकार कर दिया.
हंगामा बढ़ता देख विधानसभाध्यक्ष ने पहले आधे घंटे के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित की और फिर भी विपक्ष का हंगामा शांत न होता देख सदन की कार्यवाही दोपहर के भोजन के बाद दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी. आज राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र का अंतिम दिन है.
राज्य की शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) से मगही व भोजपुरी भाषा को हटाने का आदेश दिया है. इसके बाद मानव संसाधन विकास विभाग ने दोनों भाषाओं को सूची से बाहर करने की कार्रवाई शुरू कर दी है.
इससे पहले शिक्षा मंत्री ने मगही-भोजपुरी को शिक्षक पात्रता परीक्षा में शामिल किये जाने की पूरी प्रक्रिया के बारे में विभाग से जानकारी मांगी थी. मंत्री ने दोनों भाषा को टेट में शामिल किये जाने को संविधान के प्रावधान के अनुरूप नहीं होने की बात कही थी. दो माह पूर्व शिक्षा मंत्री ने इसकी घोषणा भी की थी. प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने मंत्री के निर्देश के अनुरूप प्रस्ताव विभाग के सचिव कोषांग को भेजा गया था. कोषांग ने शिक्षा मंत्री द्वारा टेट में मगही-भोजपुरी को शामिल किये जाने के प्रस्ताव पर की गयी टिप्पणी पर बिंदुबार जवाब तैयार करने को कहा है. इसके बाद मामले में आगे की कार्रवाई की जायेगी.
शिक्षक पात्रता परीक्षा से भोजपुरी व मगही भाषा को हटाने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा नियामवली में बदलाव करना होगा. कैबिनेट की मंजूरी लेनी होगी. राज्य में अब तक सात बार शिक्षक नियुक्ति नियमावली में बदलाव हो चुका है. प्राथमिक विद्यालयों के लिए शिक्षक नियुक्ति नियमावली सबसे पहले 29 जून 2002 को बनी थी. नियमावली में एक वर्ष में दो बार बदलाव किये गये. वर्ष 2002 व 2009 में शिक्षक नियुक्ति नियमावली में दो बदलाव हुए. अंतिम नियमावली पांच सितंबर 2012 को जारी की गयी, जिसमें शैक्षणिक मेधा अंक के आधार पर नियुक्ति की बात कही गयी है. विद्यार्थी इसका विरोध कर रहे हैं.
कैबिनेट ने मंजूरी दी थी, तब बंधु थे मंत्री
वर्ष 2007 में भोजपुरी-मगही को शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में कैबिनेट की स्वीकृति से शामिल किया गया था. शिक्षा विभाग ने नियुक्ति नियमावली में इन भाषाओं को शामिल करने का प्रस्ताव तैयार किया था. उस समय झारखंड के शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की थे.
स्थानीय भाषा में बच्चों को शिक्षा देने का उद्देश्य
टेट में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा को इस आधार पर शामिल किया गया था कि बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उनकी बोलचाल की भाषा में भी दी जा सके. कई इलाकों में ग्रामीण क्षेत्र में बच्चे हिंदी भी नहीं समझ पाते हैं. इन क्षेत्रों में बच्चों को स्थानीय भाषा में शिक्षा दी जा सके, इसलिए संबंधित जिले में बोली जानेवाली भाषा की परीक्षा अनिवार्य की गयी.
धनबाद, रांची, पलामू, गढ़वा लातेहार, चतरा, बोकारो जमशेदपुर व कोडरमा में
बोली जाती है मगही, भोजपुरी
आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं
मगही व भोजपुरी संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं है. हालांकि झारखंड में भोजपुरी और मगही बोलनेवालों की संख्या लाखों में है.
कब-कब नियमावली, संशोधन
नियमावली बनी 29-06- 2002
पहला संशोधन 24-08-2002
दूसरा संशोधन 06-06-2003
तीसरा संशोधन 26-12-2006
चौथा संशोधन 14-08-2007
पांचवां संशोधन 16-09-2009
छठा संशोधन 23-10-2009
फिर नयी नियमावली 05-09-2012
जिलों में बोली जानेवाली भाषा के आधार पर शामिल की गयी थी भोजपुरी-मगही
राज्य में शिक्षक नियुक्ति नियमावली में भोजपुरी व मगही भाषा वर्ष 2007 से शामिल है. इस आधार पर वर्ष 2008 में राज्य में शिक्षकों की नियुक्ति हुई. वर्ष 2007 में बनी शिक्षक नियुक्ति नियमावली में जिलावार प्रचलित क्षेत्रीय व जनजातीय भाषाओं को शामिल करने का निर्णय लिया गया था. इसके लिए शिक्षा विभाग ने टीआरआइ से भाषाओं का नाम मांगा था. टीआरआइ ने राज्य के विभिन्न जिलों में बोली जानेवाली भाषा के आधार पर जिला में प्रचलित क्षेत्रीय व जनजातीय भाषा का नाम विभाग को उपलब्ध कराया था. उसी के आधार पर भोजपुरी व मगही को शिक्षक नियुक्ति नियमावली में शामिल किया गया. शिक्षक नियुक्ति में इसको अनिवार्य किया गया कि विद्यार्थी जिस जिला से परीक्षा में शामिल होंगे, उस जिला के लिए दी गयी एक जनजातीय या क्षेत्रीय भाषा में पास होना अनिवार्य है. इसी आधार पर वर्ष 2011 व 2013 की शिक्षक पात्रता परीक्षा हुई.
निर्णय शिक्षा विभाग व सरकार का था‘‘टीआरइ ने शिक्षा विभाग को जिले में बोली जानेवाली भाषा के आधार पर जिलावार जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा का नाम उपलब्ध कराया था. इसे शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में शामिल करने का निर्णय शिक्षा विभाग व सरकार का था.
प्रकाश उरांव, पूर्व निदेशक , टीआरआइ
फेसबुक प्रतिक्रियाएं
झारखंड में शिक्षामंत्री गीताश्री उरांव ने भोजपुरी और मगही को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टैट) से हटाने के आदेश दे दिये हैं. इस फैसले पर फेसबुक में लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. इस पूरे मामले में अगर आप भी अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते है तो प्रभात खबर के फेसबुक पेज पर जाकर दे सकते हैं.
सतीश जायसवाल- बिल्कुल सही कदम है आखिर कब तक झारखंडी जनता बिहारी भाषा का दंश झेलती.
अमित कुमार सिन्हा- जो भी करें लेकिन बहाली रूकनी नहीं चाहिए.
रवि वर्मा- बिल्कुल सही गीताजी.
राम बाबू- गलत है.