रांची: झारखंड में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे अधिकारियों को समय से पहले ही हटा दिया जा रहा है. अभी हाल ही में दो शीर्ष अधिकारियों को समय से पहले बदल दिया गया है. प्रशासनिक स्तर पर यह चर्चा हो रही है कि एक ताकतवर राजनेता के दबाव में यह बदलाव किया गया है. ऐसा माना जाता रहा है कि बेहतर काम करनेवाले अफसरों को अपना कार्यकाल पूरा करने दिया जाना चाहिए. कुछ विभागों में जो काफी अच्छा काम कर रहे हैं, उन्हें तो कार्यकाल के बाद भी नहीं हटाया जाता.
पहला बदलाव हुआ है सुवर्णरेखा परियोजना में. यह एक बड़ी एवं महत्वपूर्ण परियोजना है. लंबे समय से यह परियोजना चल रही है और इसका कुछ काम बाकी है. समय पर इस परियोजना के पूरा होने से लागत भी कम आती और एक बड़े क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिल पाती. वहां एक आइएएस अधिकारी राहुल शर्मा को परियोजना निदेशक बनाया गया था. अभी हाल ही में उन्हें वहां से हटा दिया गया है. उन्हें रांची मनरेगा आयुक्त के पद पर लाया गया है. उनकी जगह पर एक आइएएस अधिकारी श्रीनिवासन को पदस्थापित किया गया है. वे पहले चाईबासा में डीसी थे.
दूसरा उदाहरण है रांची नगर निगम का. यहां दीपांकर पंडा सीइओ के पद पर कार्यरत थे. उन्हें वहां से हटा कर रिम्स में उपनिदेशक के पद पर पदस्थापित किया गया है. उनकी जगह मनोज कुमार को निगम का सीइओ बनाया गया है, जो पहले रिम्स में उपनिदेशक के पद पर पदस्थापित थे. यह अजीब संयोग है कि दो बार दीपंकर पंडा को उनके पद से हटा कर मनोज कुमार को ही उनकी जगह पर बैठाया गया है.
जब मधु कोड़ा मुख्यमंत्री थे, उस समय दीपंकर पंडा रांची के एसडीओ थे. उन्हें रांची के एसडीओ पद से हटा कर उनकी जगह मनोज कुमार को रांची का एसडीओ बनाया गया था. इन दोनों के तबादले पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि काफी जल्दीबाजी में इनका तबादला किया गया. किसी को भनक भी नहीं लगी. अंदर की खबर यह है कि राजनीतिक दबाव इतना ज्यादा था कि कुछ अफसरों की आपत्ति के बावजूद जल्दी में अधिसूचना निकाल दी गयी.