रांची: मंगलवार को पहली पाली में सदन में माले विधायक विनोद सिंह ने लाल-पीली बत्ती के अनावश्यक इस्तेमाल का मामला उठाया. कहा : कुछ अधिकारियों ने पीली बत्ती उतार ली है. नेताओं को भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में ऐसा करना चाहिए.
स्पीकर ने कहा कि सरकारों को तीन माह का समय मिला है. सीपी सिंह ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि मुख्य सचिव ने नैतिकता का परिचय दिया है, लेकिन वर्तमान डीजीपी आज भी सायरन बजा कर चलते हैं. इसी सदन से नियमन हुआ था कि डीजीपी सायरन बजा कर नहीं चलेंगे. इसके बावजूद आज भी ऐसा हो रहा है. आसन को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए. क्या सरकार डीजीपी को बचा रही है? सरकार से अधिकारियों को संरक्षण देना बंद करने का आग्रह किया. मंत्री राजेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार सारे मामले को संज्ञान में ले रही है. जल्द ही कार्रवाई होगी.
विपक्ष एकजुट रहा, तो सदन में फंस सकती है सरकार
सरकार को वर्तमान सत्र में दो विधेयक पास कराना है. विवाह निबंधन और आकस्मिक निधि से संबंधित बिल सदन के चालू सत्र में आयेंगे. सदन के अंदर पक्ष-विपक्ष के बीच आंकड़ों का फासला कम है. सत्ता पक्ष में 40 विधायक (स्पीकर को छोड़ कर) वर्तमान सत्र में पहुंच रहे हैं. सत्ता पक्ष के विधायक सीता सोरेन और सावना लकड़ा सदन में नहीं पहुंच रहे हैं. वहीं विपक्ष के पास 37 विधायक हैं. विपक्ष एकजुट रहा और सत्ता पक्ष के विधायकों में दो-चार इधर-उधर रहे, तो मामला फंस सकता है. सदन के अंदर सत्ता पक्ष की परेशानी बढ़ सकती है. हालांकि वर्तमान सत्र में विपक्षी विधायकों की उपस्थिति भी कम है. खास कर सत्र की दूसरी पाली में विधायकों की अनुपस्थिति कम रहती है. विपक्ष आंकड़ों के खेल में सरकार को घेरने के लिए गंभीर भी नहीं है. अनुपूरक बजट सदन में मंगलवार को पास भी हो गया.
अनुपूरक के समय झाविमो के वाक आउट के बाद विपक्षी विधायकों की संख्या कम थी. भाजपा के भी पूरे विधायक सदन में नहीं थे. अनुपूरक को सदन की सहमति आसानी से मिल गयी. विधेयक के समय विपक्ष ने एकजुटता दिखायी और सत्ता पक्ष से चूक हुई तो मामला फंस सकता है.
एनोस-हरिनारायण में दूरी
सरकार को समर्थन दे रहे एनोस एक्का और हरिनारायण राय फिलहाल कटे-कटे हैं. सरकार को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं ये. एनोस-हरिनारायण सत्र में बहुत सक्रिय नहीं है. ये दोनों विधायक सदन में अनुपस्थित रहे, तो सरकार की मुसीबत बढ़ सकती है. इनकी अनुपस्थिति के बाद सत्ता पक्ष के पास 38 विधायक ही बचेंगे. एक-दो विधायक भी अनुपस्थित रहे, तो सरकार की किरकिरी हो जायेगी. संवैधानिक संकट में सरकार फंस सकती है.
विधेयक में कब हो सकता है वोटिंग
सदन में अमूमन विधेयक ध्वनि मत से पास कराये जाते हैं. लेकिन सत्ता पक्ष की संख्या को देखते हुए, विपक्ष कहीं गिनती के लिए अड़ गया, तो फिर स्पीकर गिनती करा सकते हैं. इसमें पक्ष-विपक्ष को खड़ा कर गिनती की जाती है. इसपर भी विवाद हुआ, तो बैलेट का सहारा लिया जाता है.