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कोयला कंपनियों ने नहीं दिये 3000 करोड़

रांची: कोल इंडिया की कंपनियों ने झारखंड सरकार का 3,000 करोड़ रुपये नहीं दिये हैं. सीसीएल, बीसीसीएल और इसीएल राज्य में खनन के लिए हजारों एकड़ गैर मजरूआ भूमि का उपयोग कर रही है. वर्षो से खनन कर रही कोयला कंपनियों ने आज तक राज्य सरकार को सलामी, रेंट और सेस के रूप में एक […]

रांची: कोल इंडिया की कंपनियों ने झारखंड सरकार का 3,000 करोड़ रुपये नहीं दिये हैं. सीसीएल, बीसीसीएल और इसीएल राज्य में खनन के लिए हजारों एकड़ गैर मजरूआ भूमि का उपयोग कर रही है.

वर्षो से खनन कर रही कोयला कंपनियों ने आज तक राज्य सरकार को सलामी, रेंट और सेस के रूप में एक रुपये का भी भुगतान नहीं किया है.

राज्य सरकार का आकलन है कि कोयला कंपनियों द्वारा गैर मजरूआ भूमि पर खनन के एवज में सलामी, रेंट और सेस की राशि 3,000 करोड़ से भी ज्यादा है. कर की पूरी राशि लेकर कोयला कंपनियां बैठी हुई हैं. कोयला कंपनियों से बकाये रुपये की वसूली के लिए मुख्य सचिव आरएस शर्मा ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को आवश्यक निर्देश दिये हैं. उन्होंने इसे गंभीर मसला बताते हुए राजस्व विभाग को खान विभाग के साथ समन्वय बना कर राशि वसूली के लिए उचित कदम उठाने को कहा है.

रामगढ़ ने कराया अध्ययन
रामगढ़ जिले ने सबसे पहले इसका अध्ययन कराया था. तत्कालीन उपायुक्त डॉ अमिताभ कौशल ने सीसीएल द्वारा उपयोग की जा रही भूमि की जानकारी ली थी. इसके बाद उन्होंने इससे प्राप्त होनेवाले लगान और सेस की जानकारी ली थी. किसी तरह का लगान नहीं मिलने की जानकारी उन्होंने राज्य सरकार को की थी. तत्कालीन भू राजस्व मंत्री मथुरा प्रसाद महतो ने सभी कं पनियों के आकलन का निर्देश दिया था. मुख्यमंत्री भी इस मामले को केंद्र सरकार के पास भी रख चुके हैं.

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