माओवादियो ने किया ऑपरेशन ग्रीन हंट का विरोध
गिरिडीह : नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ने ऑपरेशन ग्रीन हंट में प्रयोग होने वाले स्कूल भवनों को उड़ाने की धमकी दी है. भाकपा माओवादी की उत्तरी छोटानागपुर जोनल कमेटी के सचिव आनंद ने इस बाबत एक प्रेस बयान जारी किया है.
कहा गया है कि प्रशिक्षित व अत्याधुनिक हथियार से लैस लगभग दो-तीन लाख पुलिस-अर्धसैनिक बलों को पूरे झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात किया गया है. ग्रामीण इलाकों को पुलिस छावनी में बदल दिया गया है.
माओवादी आंदोलन को बदनाम करने और क्रांतिकारियों के खात्मे के लिए इन अर्धसैनिक बलों को इलाके में उतारा गया है. पुलिस कैंप को लेकर व्यापक तौर पर विद्यालय भवनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं ऑपरेशन ग्रीन हंट का सेंटर स्कूल भवनों में बनाया जा रहा है.
पीरटांड़ का दिया हवाला : बयान में कहा गया है कि 19 नवंबर से पीरटांड़ थाना क्षेत्र के पीरटांड़ मध्य विद्यालय, खुखरा मध्य विद्यालय, पांडेयडीह मध्य विद्यालय एवं सोबरनपुर मध्य विद्यालय में सैकड़ों की संख्या में पुलिस जवानों को रखा गया है. कई स्कूल भवनों में पहले से स्थायी पुलिस कैंप बनाये गये हैं.
पीरटांड़ के हरलाडीह उच्च विद्यालय, धनबाद के बरवाअड्डा थाना के बैंगनरिया मध्य विद्यालय, बोकारो जिला के झुमरा पहाड़ के प्राथमिक विद्यालय और राहावन के मध्य विद्यालय में जवानों को तैनात कर रखा है. इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों और पढ़ाने वाले शिक्षकों के साथ पुलिस के जवान गलत व्यवहार करते है. कैंप से निकलते वक्त पुलिस बल द्वारा ग्रामीणों की पिटाई भी की जा रही है.
पुलिस बंदूक का आतंक राज चलाना चाहती है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार यह आरोप लगा रही है कि माओवादी अपने प्रभावित क्षेत्र में विकास कार्य नहीं होने दे रहे हैं. क्या शेष बचे भू-भाग में विकास कार्य संपन्न हो चुका है? 65 वर्षो में भी सरकार जनतंत्र का प्रहरी नहीं बन पायी है. हिरासत में गरीबों की हत्या की जा रही है. हर रोड, रास्ते पर बैरिकेड लगाकर पुलिस द्वारा रंगदारी वसूली जाती है. सरकारी व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार से बड़ा लेवी कुछ नहीं है.
ऐसे में विकास का कौन सा मॉडल माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सरकार लागू करना चाहती है. वहीं जब क्रांतिकारी पार्टी जल, जंगल, जमीन और गरीबों के अस्तित्व की रक्षा के लिए टैक्स लेती है तो सरकार उसे अवैध वसूली कहती है. उन्होंने कहा कि कुछ बुद्धिजीवी मित्रों द्वारा विद्यालय भवनों को न तोड़े जाने का अनुरोध किया गया है. उनकी इस भावना का हम कद्र करते हैं, पर हमें कुचल देने अथवा खात्मा करने के लिए अगर स्कूल भवनों को ऑपरेशन सेंटर के तौर पर इस्तेमाल किया जायेगा तो ऐसे भवनों को ध्वस्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.