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स्थापना दिवस समारोह में दिखी अव्यवस्था, विभागों में नहीं दिख रहा था सामंजस्य

रांची: झारखंड राज्य के स्थापना दिवस समारोह में भारी अव्यवस्था दिखी. अंतिम समय तक ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी. जिला प्रशासन और मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग द्वारा समारोह का आयोजन किया गया.पूरे आयोजन में दोनों विभागों के बीच सामंजस्य का अभाव दिखा. पहले मुख्य समारोह का समय छह बजे निर्धारित किया गया था. दो दिन […]

रांची: झारखंड राज्य के स्थापना दिवस समारोह में भारी अव्यवस्था दिखी. अंतिम समय तक ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी. जिला प्रशासन और मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग द्वारा समारोह का आयोजन किया गया.पूरे आयोजन में दोनों विभागों के बीच सामंजस्य का अभाव दिखा. पहले मुख्य समारोह का समय छह बजे निर्धारित किया गया था. दो दिन पहले इसे बदलकर तीन बजे किया गया, लेकिन कार्यक्रम 4.40 बजे शुरू हुआ. कमोबेश यही स्थिति विकास मेला को लेकर भी थी. किसी तरह मेले का आयोजन किया गया.

मंत्रियों ने जतायी नाराजगी : स्थापना दिवस को लेकर आमंत्रण पत्र एक या दो दिन पहले भेजे जाते हैं. यहां स्थिति यह थी कि 14 नवंबर की शाम को आमंत्रण पत्र छपा. जैसे-तैसे इसे कुछ मंत्रियों तक पहुंचा दिया गया. आमंत्रण पत्र में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता, पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का नाम था. पर अन्य मंत्रियों का नाम नहीं थी. इस पर जल संसाधन मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने आपत्ति भी जतायी. वह स्थापना दिवस समारोह में शामिल भी नहीं हुईं. मंत्री मन्नान मल्लिक भी कार्यक्रम में शरीक नहीं हुए. राजेंद्र सिंह व्यक्तिगत कारणों से कार्यक्रम में शरीक नहीं हुए.

पूर्व में जब स्थापना दिवस का कार्यक्रम आयोजित होता था, तो विपक्ष व सत्ता पक्ष के तमाम मंत्री और विधायक समारोह में शामिल होते रहे हैं. यह पहला मौका है, जब तीन-तीन मंत्री और दर्जनों विधायक समारोह से नदारद थे. विधायकों में झामुमो मथुरा महतो और अकील अख्तर ही शामिल हुए. स्थानीय विधायक सीपी सिंह भी उपस्थित नहीं थे. बताया गया कि उन्हें आमंत्रण नहीं मिला था. मुख्यमंत्री का भाषण भी 14 नवंबर की रात में प्रिंट हुआ. अव्यवस्था को लेकर विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता ने डीसी से नाराजगी भी जतायी.

सीट को लेकर अव्यवस्था : सीट को लेकर भी अव्यवस्था देखी गयी. मुख्य मंच के ठीक सामने प्रिंट मीडिया के बैठने की व्यवस्था की गयी थी. अधिकारियों के लिए मुख्य मंच के दायीं ओर व्यवस्था थी. जब अधिकारी आये तो कोई उन्हें बताने वाला नहीं था कि कहां बैठे. अनजाने में अधिकारी प्रेस गैलरी में ही बैठ गये. रांची जिला प्रशासन के अधिकारियों ने देख कर भी अनदेखा कर दिया. उपायुक्त ने भी कई बार अधिकारियों को प्रेस गैलरी में बैठे देखा पर कुछ नहीं कहा. आधे घंटे तक यही स्थिति बनी रही. प्रेस के लोग पूछते चल रहे थे कि कहां बैठना है. बाद में राजीव अरुण एक्का ने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे मंच के बगल में बैठें.

सामंजस्य का अभाव : कार्यक्रम के दौरान यह स्पष्ट नहीं था कि कब क्या होगा. एक-एक कर मंत्री आये. फिर मुख्यमंत्री और राज्यपाल आये. औपचारिक उद्घाटन के बाद जैप-1 बैंड की प्रस्तुतीकरण हुई. फिर स्कूली बच्चों द्वारा कार्यक्रम पेश किया गया. फिर अचानक सम्मान और परिसंपत्ति वितरित करने की घोषणा कर दी गयी. भाषण चला और फिर सम्मान देने की घोषणा की गयी. कुल मिलाकर सामंजस्य का अभाव स्पष्ट दिख रहा था.

सुरक्षा को धता बता पारा शिक्षक घुसे: सारी सुरक्षा को धता बताते हुए पारा शिक्षक स्टेडियम में घुस गये. सीएम के भाषण के दौरान उन्होंने जमकर नारेबाजी की. करीब पांच मिनट तक यह सिलसिला चलता रहा. जब मीडियाकर्मी उस ओर भागे तब सुरक्षाकर्मियों का ध्यान उस ओर गया और पारा शिक्षकों को बाहर किया गया.

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