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मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए स्थानीयता का प्रमाण पत्र जरूरी

रांची: झारखंड के तीन मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए स्थानीय निवासी होने का प्रमाण पत्र अनिवार्य है. कार्मिक, प्रशासनिक सुधार और राजभाषा सुधार विभाग के पत्रंक 09/2001 (डोमिसाइल) के आलोक में यह प्रमाण पत्र लेना जरूरी है. सरकार की ओर से 29 अप्रैल 2002 को यह आदेश विभाग की ओर से जारी किया गया […]

रांची: झारखंड के तीन मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए स्थानीय निवासी होने का प्रमाण पत्र अनिवार्य है. कार्मिक, प्रशासनिक सुधार और राजभाषा सुधार विभाग के पत्रंक 09/2001 (डोमिसाइल) के आलोक में यह प्रमाण पत्र लेना जरूरी है.

सरकार की ओर से 29 अप्रैल 2002 को यह आदेश विभाग की ओर से जारी किया गया था. इसका उपयोग सिर्फ शैक्षणिक कार्य के लिए किया गया था. यह प्रमाण पत्र जिला अथवा अनुमंडल पदाधिकारी के कार्यालय से निर्गत किया जाना भी जरूरी है. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग (अनुसूची-1, 2) के लिए कार्मिक विभाग की ओर से 22.9.2009 को जारी आदेश के अनुसार फॉरमेट भरना अनिवार्य किया गया है.

अनुमंडल पदाधिकारी के बजाय अन्य अधिकारियों की ओर से जारी होनेवाले प्रमाण पत्र को झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद की ओर से साक्षात्कार के समय मान्यता नहीं दी जाती है.

इसी प्रमाण पत्र के आधार पर प्रत्येक वर्ष साक्षात्कार के बाद सफल अभ्यर्थियों को रांची के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स), जमशेदपुर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल और धनबाद के पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में दाखिले के लिए अनुशंसा की जाती है.

इन तीनों मेडिकल कॉलेजों में कुल 350 सीटें हैं. इनमें से 15 प्रतिशत सीटें केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसइ) की ओर से ली जानेवाली परीक्षा के लिए आरक्षित हैं, जबकि प्रत्येक कॉलेजों में दो-दो सीटें केंद्र सरकार के नोमिनेशन के लिए आरक्षित हैं. इतना ही नहीं कुल सीटों में से 50 प्रतिशत सीटें अनारक्षित हैं, जबकि अन्य सीटें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, सर्विस मेन कोटा और फिजिकली हैंडिकैप्ड के लिए आरक्षित हैं.

स्थानीय कौन होंगे

झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड का स्थानीय निवासी होने के लिए

1. अभ्यर्थी का अपने जन्म स्थान से आठवीं पास होना अथवा इंटर अथवा 10 प्लस 2 करना जरूरी है.

2. सरकारी सेवकों के लिए 10 वर्ष से ऊपर राज्य में काम करने की समय सीमा तय की गयी है.

3. सरकारी कर्मियों की सेवा अवधि के आधार पर ही जाति, आय और आवासीय प्रमाण पत्र बनाने का प्रावधान है.

4. अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए (अनुसूची-1 और अनुसूची-2)स्थानीय प्रमाण पत्र बनाने के लिए अनुमंडल पदाधिकारी की ओर से 10 वर्ष से एक ही जगह पर रहने की अभिप्रमाणित प्रति की मांग की जाती है. इसमें ओबीसी की जाति और उप जाति के बारे में भी पूछा जाता है.

5. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए स्थानीय प्रमाण पत्र बनाने को लेकर जाति, उप जाति की जानकारी देना जरूरी है.

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